समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला और ऊर्जा कंपनी एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) को एक महत्वपूर्ण छूट देने का फैसला किया। यह छूट नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSEs) के लिए तय मौजूदा निवेश दिशानिर्देशों से है, जिससे कंपनी को अपने पूंजी निवेश के विस्तार में बड़ी राहत मिलेगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय एनएलसीआईएल को तेजी से रणनीतिक निर्णय लेने, निवेश योजनाओं को त्वरित रूप से लागू करने और ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में अपने दायरे को बढ़ाने में मदद करेगा। इस कदम को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम
एनएलसी इंडिया लिमिटेड देश की प्रमुख लिग्नाइट खनन और थर्मल पावर उत्पादन कंपनी है। यह छूट कंपनी को न सिर्फ अपने मौजूदा प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा करने में सहायक होगी, बल्कि उसे नई नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में भी स्वतंत्रता और गति से निवेश करने का मौका देगी।
कैबिनेट के इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार पारंपरिक ऊर्जा के साथ-साथ हरित ऊर्जा में भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को नेतृत्व सौंपना चाहती है। एनएलसीआईएल पहले ही सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में सक्रिय है और अब उसे बिना अतिरिक्त मंजूरी के रणनीतिक निवेश करने की आज़ादी मिलेगी
विकासशील भारत में सार्वजनिक कंपनियों की भूमिका
कैबिनेट समिति का यह फैसला केवल एक कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विकासशील भारत में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका को और मजबूत करने की नीति का हिस्सा है। निजी क्षेत्र के बढ़ते दबाव और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच यह छूट सार्वजनिक कंपनियों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिससे वे समयबद्ध और पूंजीगहन परियोजनाओं में आगे बढ़ सकें।
एनएलसी इंडिया जैसे उपक्रमों को वित्तीय और प्रक्रियागत स्वतंत्रता देना इस बात का संकेत है कि सरकार उन्हें सिर्फ उत्पादन इकाई नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदार मानती है जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक आत्मनिर्भरता में केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं।
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