हरियाणा स्कूलों में सुबह की प्रार्थना में गीता श्लोक हुआ अनिवार्य

समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़, 19 जुलाई: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने मंगलवार को महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अब राज्य के सभी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना में एक गीता श्लोक का उच्चारण अनिवार्य किया गया है। आधिकारिक पत्र में बोर्ड ने बताया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि आने वाली पीढ़ी भगवद् गीता के ज्ञान से प्रभावित हो और इसे अपने जीवन में उतार सके।

संस्कार और चरित्र निर्माण का माध्यम

हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विरासत पर जोर देते हुए बोर्ड ने समझाया कि गीता श्लोक पढ़ने से विद्यार्थी संस्कारी और आदर्श चरित्र वाले बनेंगे। आजतक से बात करते हुए एक स्कूल प्रधानाचार्य ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री के “भारत विश्व गुरु” बनने के सपने को भी पुष्ट करती है। उन्होंने आगे बताया कि पहले भी धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा को महत्व दिया जाता था, जब विदेश से छात्र भारत की अध्यात्मिक ज्ञान धरोहर सीखने आते थे।

गीता श्लोक में छिपा ज्ञान

प्राचार्य के अनुसार, गीता के चौथे श्लोक में यह ज्ञान निहित है कि छात्रिका वास्तविक ज्ञान तभी प्राप्त कर सकता है जब उसका चरित्र गुरुजनों के प्रति सम्मानजनक हो। बोर्ड ने इसे जीवन में आचरण के मार्गदर्शक रूप में देखा है—जिसमें अनुशासन, धर्म, आदर्श आचरण और निष्ठा की भावना को दृढ़ किया गया है।

उत्तराखंड के बाद हरियाणा की बारी

इस नए निर्देश से पहले उत्तराखंड सरकार ने भी इसी प्रकार के कदम उठाए थे, जिसमें सुबह की परफ़ॉर्मेंस में गीता श्लोक अनिवार्य कर दिए गए थे। इस प्रकार हरियाणा की यह पहल उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य बन गया है, जिसने अपने स्कूलों में आध्यात्मिक शिक्षण के लिए भगवद् गीता को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है।

 

 

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