प्रयागराज में महाकुंभ के स्वागत की तैयारी, सांस्कृतिक विरासत उजागर करने के लिए ‘कलाग्राम’ स्थापित होगा

समग्र समाचार सेवा
प्रयागराज,13 दिसंबर।

प्रयागराज महाकुंभ 2025 के आगमन को लेकर देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए सज-धज कर तैयार है। गलियों और चौराहों पर महाकुंभ की रौनक दिखने लगी है। भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को उजागर करने के लिए केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने एक अनोखी पहल की है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने घोषणा की है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में ‘कलाग्राम’ नामक सांस्कृतिक गांव की स्थापना की जाएगी।

कलाग्राम को नागवासुकी क्षेत्र में 10.24 एकड़ में स्थापित किया जाएगा। इसमें एक भव्य गंगा पंडाल बनाया जाएगा, जिसमें 10,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। इसके साथ ही झूंसी, नागवासुकी और अरेल में 4,000 लोगों की क्षमता वाले तीन और पंडाल स्थापित किए जाएंगे। कलाग्राम का एम्फीथिएटर 1,000 दर्शकों के बैठने की सुविधा प्रदान करेगा। इन स्थलों पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेताओं के सांस्कृतिक प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।

महाकुंभ 2025 में शहर भर में 20 सांस्कृतिक मंच स्थापित किए जाएंगे। यह मंच उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और केंद्र के संस्कृति मंत्रालय द्वारा साझा रूप से वितरित किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए एक समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करना है।

महाकुंभ न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र होगा बल्कि यह क्षेत्रीय रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, 2022-2023 में भारत में पर्यटन ने 76.17 मिलियन नौकरियां उत्पन्न कीं, जो 2013-2014 के 69.56 मिलियन से अधिक है।

2023 में भारत में 95 लाख विदेशी पर्यटक आए, जो 2014 के 77 लाख से 23.96% अधिक है। घरेलू पर्यटकों की संख्या भी 123 करोड़ (2014) से बढ़कर 250 करोड़ (2023) तक पहुंच गई।

भारत ने वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक में 2014 के 65वें स्थान से छलांग लगाकर 2024 में 39वें स्थान पर पहुंचकर उल्लेखनीय प्रगति की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने सांस्कृतिक और पर्यटन क्षेत्रों में सुधारों के माध्यम से राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया है।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह पहल ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘विकास भी, विरासत भी’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इन प्रयासों का उद्देश्य समावेशी विकास को बढ़ावा देना और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है।

महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। दीवारों पर उकेरी गई संस्कृति, पंडालों की भव्यता और भारत की आध्यात्मिक पहचान महाकुंभ 2025 को एक यादगार अनुभव बनाएगी।

 

 

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