समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16 जुलाई: विवादित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक जारी रखी है और केंद्र सरकार के फैसले का इंतज़ार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि जब तक केंद्र सरकार की कमेटी कोई अंतिम निर्णय नहीं लेती, तब तक इस पर रोक जारी रहेगी। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
कपिल सिब्बल ने जताई आपत्ति
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि उन्होंने खुद पूरी फिल्म देखी है और वह देखकर हिल गए। सिब्बल ने कहा कि फिल्म एक खास समुदाय के खिलाफ नफरत को हवा देती है और हिंसा भड़काने का काम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म में समलैंगिकता, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और न्यायिक प्रक्रिया को गलत तरीके से दिखाया गया है।
सिब्बल ने अदालत से गुज़ारिश की कि इस तरह की एजेंडा आधारित फिल्म को किसी भी सूरत में मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में ऐसी फिल्म की इजाजत देना अकल्पनीय है।
कन्हैया लाल के बेटे को धमकियां
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कन्हैया लाल के बेटे को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इस पर कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधीक्षक और आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे खतरे का आकलन कर तुरंत सुरक्षा मुहैया कराएं।
केंद्र सरकार से फैसला जल्द लेने का आग्रह
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की कमेटी से आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द फिल्म पर अपना निर्णय दे। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात में यही उचित होगा कि पहले केंद्र का फैसला आए फिर कोर्ट इस पर अंतिम आदेश दे।
क्या चाहते हैं याचिकाकर्ता?
इस फिल्म को लेकर याचिका मोहम्मद जावेद ने दायर की है, जो कन्हैया लाल हत्याकांड में आरोपी है। जावेद का कहना है कि जब तक मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक फिल्म को रिलीज़ नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने ट्रेलर और प्रचार सामग्री पर भी सवाल उठाए हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी अपनी याचिका में यही चिंता जताई है कि सेंसर बोर्ड ने भले ही 55 सीन हटाए हों, लेकिन फिल्म का स्वरूप हिंसा को भड़काने वाला ही है।
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