भारत में बन रहा हांगकांग, ड्रैगन की दुखती रग…हिंद महासागर में चीन को ऐसे ‘हराएगा’ इंडिया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10जुलाई। केंद्र सरकार ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट का मिशन पूरा करने में लगी है। कांग्रेस और पर्यावरणवादियों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जताई है।

◆ भारत ने जब से यह प्रोजेक्ट शुरू किया है, उससे चीन बेहद परेशान है।
◆ 72,000 करोड़ रुपए का है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट।
◆ केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया है।
◆ 2021 में केंद्र सरकार ने इसकी शुरुआत की थी।
◆ भारत का हांगकांग माने जाने वाले इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस का कहना है कि इसके बनने से पर्यावरण के साथ-साथ इलाके के आदिवासियों पर भी खतरा है।
◆ 910 वर्ग किमी के बड़े हिस्से में बन रहा प्रोजेक्ट।

केंद्र सरकार का ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट 72,000 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। यह निकोबार द्वीप पर सबसे दक्षिणी और बड़े हिस्से पर बनाया जा रहा है।

■ ग्रेट निकोबार द्वीप भारत की मुख्य जमीन से करीब 1,800 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है।
■ यह बंगाल की खाड़ी में 910 वर्ग किमी के हिस्से में बन रहा है।
■ इस द्वीप पर इंदिरा पॉइंट भी है, जो इंडोनेशिया के सबसे बड़े द्वीप सुमात्रा से महज 170 किमी दूर है।
■ ग्रेट निकोबार आईलैंड प्रोजेक्ट की शुरुआत नरेंद्र मोदी सरकार ने 2021 में की थी। इस मेगा प्रोजेक्ट को अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों के आखिरी छोर तक बनाया जाना है।
■ इसमें मालवाहक जहाजों के लिए बंदरगाह, एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट, स्मार्ट सिटी और 450 मेगावॉट की गैस और सौर बिजली परियोजना स्थापित किया जाना शामिल है।
■ यह प्रोजेक्ट नीति आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर बनाया जा रहा है, जिसने ग्रेट निकोबार द्वीप की अहमियत को देखते हुए वहां पर इसकी रूपरेखा बनाई।
■ जिस इलाके में यह प्रोजेक्ट बन रहा है, वो श्रीलंका की राजधानी कोलंबो, मलेशिया के पोर्ट क्लांग और सिंगापुर से बराबर दूरी पर है।
■ अंडमान-निकोबार द्वीप 836 छोटे-बड़े द्वीपों से मिलकर बना है। यह दो हिस्सों में बंटा है। उत्तर में अंडमान द्वीप और दक्षिण में निकोबार द्वीप समूह। ग्रेट निकोबार में दो नेशनल पार्क, एक बायोस्फियर रिजर्व है।
■ यहां पर शौंपेन, ओंगे, अंडमानी और निकोबारी जनजातियां रहती हैं। इसके अलावा कुछ गैर आदिवासी आबादी भी यहां पर रहती है। इस द्वीप में फिलहाल आठ हजार लोग रहते हैं।
■ यह द्वीप मलक्का की खाड़ी के बेहद पास है। यह वही खाड़ी है, जहां से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच जहाज आ-जा सकते हैं। यहां पर चीन की पहले से मौजूदगी है, ऐसे में अगर इस इलाके में यह प्रोजेक्ट पूरा कर लेता है तो भारत चीन की नीयत को मात दे सकता है।
■ बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर ऐसा क्षेत्र है, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और नौसेना इस पूरे क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने की फिराक में है।

चीन ने भारत तक पहुंचने वाले हर समुद्री चेक पॉइंट्स जैसे मलक्का की खाड़ी, सुंडा और लंबक की खाड़ी में अपनी नौसेना की मौजूदगी बढ़ा रखी है, जो भारत के लिए बेहद टेंशन की बात है। इसके अलावा, म्यांमार के कोको द्वीप में चीन ने मिलिट्री फैसिलिटी बनाई है, जो अंडमान-निाकोबार द्वीप समूह से महज 55 किलोमीटर ही दूर है।

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