लखनऊ, 14 अक्टूबर।
पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद उर्फ कृष्णपाल सिंह पर मुकदमा दर्ज कराने वाली विधि छात्रा न्यायालय में गवाही के दौरान अपने ही आरोपों से मुकर गई। अभियोजन पक्ष ने उसे पक्षद्रोही करार दिया और उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मुकदमा दर्ज करने की अर्जी दाखिल की। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने अर्जी को दर्ज करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई अब 15 अक्टूबर को होगी।
सरकारी वकील अभय त्रिपाठी के मुताबिक गत वर्ष पांच सितंबर को पीड़िता ने चिन्मयानंद पर यौन संबंध बनाने के लिए अपनी अभिरक्षा में रखने का नई दिल्ली के थाना लोधी कॉलोनी में मुकदमा दर्ज कराया था। उसके पिता द्वारा शाहजहांपुर में दर्ज मुकदमे में इस एफआइआर को मर्ज कर दिया गया। एसआइटी ने पीड़िता का बयान दर्ज करने के साथ ही मामले की जांच शुरू की। शाहजहांपुर में भी पीड़िता का मजिस्ट्रेट के समक्ष कलमबंद बयान लिया गया। पीड़िता ने अपने इन दोनों बयानों के विपरीत नौ अक्टूबर को अपना पक्ष रखा।
गौरतलब है कि 27 अगस्त, 2019 को चिन्मयानंद केस में पीड़िता के पिता ने शाहजहांपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी पुत्री एलएलएम कर रही है। वह कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी। 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद है। फेसबुक पर उसका वीडियो देखा, जिसमें स्वामी चिन्मयानंद व कुछ अन्य लोग उसको दुष्कर्म करने व जान से मारने की धमकी दे रहे थे। उनकी पुत्री के कमरे में ताला बंद था। उन्होंने मीडिया के सामने वीडियो व पुत्री का कमरा सील किए जाने की मांग भी की थी। इस मामले में 20 सितंबर 2019 को चिन्मयानंद को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। चार नवंबर 2019 को एसआइटी ने आरोप पत्र दाखिल किया था। तीन फरवरी 2020 को हाई कोर्ट की खंडपीठ से चिन्मयानंद की जमानत मंजूर हुई थी।
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