सरकार का बड़ी कंपनियों को छोटे उद्योगों का बकाया जल्द से जल्द चुकाने का दिया निर्देश

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19अक्टूबर।
सरकार ने त्योहारी सीजन को देखते हुए देश में सार्वजनिक क्षेत्र की 2800 से ज्यादा बड़ी कंपनियों को छोटे उद्योगों का बकाया चुकाने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि पांच महीनों को छोटे कारोबारियों को 13 हजार 400 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को यहां बताया कि बड़ी कंपनियों को छोटे उद्योगों की बकाया रकम का भुगतान करने के लिए पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि छोटे उद्योगों से संबंधित एमएसएमई विकास कानून 2006 के कानूनी प्रावधानों के अनुसार छोटे उद्योगों को 45 दिनों के अंदर ही भुगतान किया जाना जरूरी है। इसी के अनुरूप नियमों के तहत उद्योगों को एक अर्द्धवार्षिक रिटर्न भी जमा करना होगा, जिसमें बकाए के बारे में जानकारी होगी।

मंत्रालय ने इस संबंध में ध्‍यान देने और जरूरी कार्रवाई करने को कहा है। सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्रालय ने 2800 से ज्‍यादा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाों के शीर्ष अधिकारियों को पत्र भेजकर उनसे छोटे उद्योगों के बकाए का भुगतान करने के लिए कहा है। पिछले महीने मंत्रालय ने 500 शीर्ष कंपनियों को बकाए के भुगतान के लिए पत्र भेजा था। पिछले पांच महीनों में छोटे उद्योगों को सर्वाधिक भुगतान सितंबर 2020 में मिला है। इस अवधि में सितंबर महीने तक खरीद और कारोबार भी सर्वाधिक हुआ। पिछले पांच महीनों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों ने ही 13,400 करोड़ रूपये से ज्‍यादा का भुगतान किया। इसमें से 3700 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान मात्र सितंबर में किया गया। मंत्रालय ने कहा है कि छोटे उद्योगों को समय पर भुगतान कराने के लिए सरकार ने कई कदम उठायें हैं। इस समय छोटे उद्योगों को किया गया भुगतान लाखों घरों और करोड़ों चेहरों पर मुस्‍कान लाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है।

मंत्रालय ने कहा कि यह लघु उद्योगों को आगामी त्‍यौहारी सत्र के दौरान व्‍यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने में मदद करेगा। समय पर की गई अदायगी, न सिर्फ इन उद्योगों और उन पर निर्भर अन्‍य उद्योगों को मदद करेगी बल्कि, वह इनमें से कई को पूरे साल अपने कामकाज को बरकरार रखने में भी मदद करेगी। इसलिए जल्‍द से जल्‍द, हो सके तो इसी महीने उनका भुगतान किया जाए। भुगतान निर्धारित अवधि में कराने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ‘ट्रेड्स’ नाम से एक ‘बिल डिस्‍काउंटिंग तंत्र’ तैयार किया है। पांच सौ करोड़ रुपए तक कारोबार करने वाले सभी उपक्रम और कंपनियों को अनिवार्य रूप से इस प्‍लेटफॉर्म में शामिल होना होगा।

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