डोनाल्ड ट्रंप बनाम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी: भारतीय छात्रों पर संकट के बादल

समग्र समाचार सेवा,

नई दिल्ली, 24 मई: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद आदेश से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे और दाखिला लेने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्र-छात्राओं के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के एडमिशन प्रोग्राम को रद्द कर दिया है, जिससे हर साल दाखिला लेने वाले 500 से 800 भारतीय छात्रों के लिए गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

इस आदेश के खिलाफ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने बॉस्टन कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। विश्वविद्यालय ने इस आदेश को कानून का “स्पष्ट उल्लंघन” बताया है। सुनवाई करते हुए अमेरिका की डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बॉरो ने ट्रंप प्रशासन के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है।

इस मामले में अमेरिकी गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह निर्णय हार्वर्ड द्वारा कानून का पालन न करने के कारण लिया गया है और इसे देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए एक ‘चेतावनी’ बताया गया।

हालांकि, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस कदम को ‘गैर-कानूनी’ बताते हुए कहा, “हम अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं को दाखिला देने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग हैं। ये छात्र 140 से अधिक देशों से आते हैं और विश्वविद्यालय व राष्ट्र को समृद्ध बनाते हैं।”

ट्रंप प्रशासन की आपत्तियां और मांगें

अप्रैल 2025 में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड को एक मांग पत्र भेजा, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख शर्तें शामिल थीं:

  • अमेरिकी मूल्यों के विरोधी छात्रों की सूचना देना
  • विविधतापूर्ण दृष्टिकोण सुनिश्चित करना
  • विश्वविद्यालय विभागों का बाहरी ऑडिट
  • यहूदी विरोधी उत्पीड़न फैलाने वाले विभागों की पहचान
  • परिसर में विरोध प्रदर्शनों पर सख्त अनुशासन
  • विविधता, समानता और समावेशन संबंधी नीतियों का अंत

हार्वर्ड ने इन मांगों को अस्वीकार करते हुए आरोप लगाया कि व्हाइट हाउस विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता को नियंत्रित करना चाहता है। इसके तुरंत बाद ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की फंडिंग पर रोक लगाते हुए 2.2 अरब डॉलर के अनुदान और 6 करोड़ डॉलर के अनुबंधों को स्थगित कर दिया।

भारतीय छात्रों की चिंता

साल 2023-24 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 824 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे। पिछले पांच वर्षों में यह संख्या 3,000 से अधिक रही है। वर्तमान में हार्वर्ड में 788 भारतीय छात्र नामांकित हैं।

पूर्व फेलो और बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के वरिष्ठ संपादक आशीष दीक्षित कहते हैं, “यह फैसला वर्तमान छात्रों को सीधे प्रभावित करेगा। उन्हें अब या तो दूसरा विश्वविद्यालय खोजना होगा या फिर हार्वर्ड को कोर्ट से स्थगन आदेश लाना होगा।”

वहीं, 2023 में दाखिला लेने वाली श्रेया मिश्रा रेड्डी, जो जल्द ही स्नातक की डिग्री पूरी करने वाली थीं, अब अनिश्चितता में हैं। वे कहती हैं, “मेरे परिवार के लिए यह बहुत मुश्किल समय है। हम इस खबर को अभी समझने की कोशिश कर रहे हैं।”

आर्थिक योगदान भी खतरे में

हार्वर्ड में अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने 2023-24 के शैक्षणिक वर्ष में स्थानीय अर्थव्यवस्था में 38.4 करोड़ डॉलर का योगदान दिया और लगभग 3,900 नौकरियों को समर्थन दिया।

हार्वर्ड से पढ़े प्रसिद्ध भारतीय

  • रतन टाटा: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से 1975 में पढ़ाई।
  • सुब्रमण्यम स्वामी: अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री, हार्वर्ड से पीएचडी और अध्यापन।
  • मीरा नायर: प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, हार्वर्ड से समाजशास्त्र में डिग्री।
  • कपिल सिब्बल: वरिष्ठ वकील और सांसद, हार्वर्ड लॉ स्कूल से एल.एल.एम.

डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से न केवल हार्वर्ड की प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता पर असर पड़ा है, बल्कि हजारों भारतीय छात्रों के सपनों पर भी पानी फिरने की आशंका है। आने वाले दिनों में कोर्ट का फैसला और प्रशासन की प्रतिक्रिया इस मुद्दे को किस दिशा में ले जाती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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