अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब ऐलान कर दिया है कि उनका देश अब सिर्फ उन्हीं राष्ट्रों के साथ मिलकर काम करेगा जो तेहरान से होने वाले तेल आयात में कमी ला रहे हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि भारत और चीन को किसी तरह की कोई छूट देने का कोई विचार नहीं है। हुक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम किसी भी तरह के लाइसेंस और छूट देने पर कोई विचार नहीं कर रहे हैं। उनका कहना था कि ऐसा करने से ही ईरान पर दबाव बनाने का अमेरिकी अभियान सफल हो सकेगा। ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है जो भारत को कच्चा तेल उपलब्ध कराता है। भारत ने अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक ईरान से 1.84 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया। मई में ट्रंप ने ईरान के साथ साल 2015 में हुए न्यूक्लियर डील को खुद को अलग कर लिया और ईरान पर फिर से अमेरिकी प्रतिबंध लगा दिये हैं। ट्रंप सरकार ने ईरान की तेल कंपनियों के साथ काम करने वाली विदेशी कंपनियों को 90 या 180 दिन का समय दिया है कि वह अपने कारोबार को उसके साथ कम कर दें।
अमेरिका ने ईरान के साथ होने वाले तेल आयात को लेकर भारत, चीन समेत कई देशों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने वाले सभी देशों को चार नवंबर की डेडलाइन दी है और इस तारीख तक सभी देशों को अमेरिकी प्रतिबंध झेल रहे ईरान के साथ तेल आयात को पूरी तरह बंद करना होगा। ट्रंप प्रशासन में सीनियर ऑफिसर ब्रायन हुक की ओर से एक बयान में यह बात कही गई है। ब्रायन अमेरिकी विदेश विभाग में पॉलिसी प्लानिंग में डायरेक्टर हैं।
ईरान के राष्ट्रपति ने दी चेतावनी अब अमेरिका चीन और भारत जैसे देशों समेत सभी पर दबाव बना रहा है कि वह चार नवंबर तक ईरान से तेल खरीदना पूरी तरह बंद कर दे। दूसरी तरफ ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कच्चे तेल का कारोबार रोकने के अमेरिकी दबाव को लेकर चेतावनी दी है। रूहानी ने कहा कि अगर अमेरिका अपने सहयोगी देशों को ईरान से कच्चा तेल खरीदने से रोकने की कोशिश करता है तो क्षेत्रीय आपूर्ति खतरे में पड़ सकती है। रूहानी ने स्विट्जरलैंड यात्रा के दौरान ईरानी प्रवासियों से यह बात कही। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ईरान को अपने कच्चे तेल का निर्यात जारी रखने की अनुमति नहीं दी है। ईरानी राष्ट्रपति ने चेतावनी पर विस्तार से नहीं बताया है लेकिन अतीत में जब ईरान पर इस तरह का दबाव डाला गया था तो उसने होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की धमकी दी थी। दुनिया की तेल आपूर्ति का एक तिहाई हिस्सा यहां से होकर गुजरता है।
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