सिंधु जल संधि पर भारत और पाकिस्तान में बढ़ा तनाव, भारत ने कहा – ‘आतंकवाद से हो रहा संधि का उल्लंघन’

समग्र समाचार सेवा,

दुशांबे (ताजिकिस्तान), 1 जून: दुशांबे सम्मेलन में भारत का सख्त रुख, पाकिस्तान पर लगाया संधि के दुरुपयोग का आरोप

सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक गहरा गया है। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के पहले ग्लेशियर सम्मेलन में भारत ने साफ शब्दों में पाकिस्तान पर संधि के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को दोषारोपण की बजाय सीमा पार आतंकवाद को रोकना चाहिए, जो संधि के क्रियान्वयन में मुख्य बाधा है।

पाकिस्तान मंच का दुरुपयोग कर रहा है – भारत

भारत की ओर से पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने सम्मेलन में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान इस मंच का “दुरुपयोग” कर रहा है और ऐसे मुद्दों को उठा रहा है जो सम्मेलन के विषय से संबंधित नहीं हैं। श्री सिंह ने कहा:

“हम पाकिस्तान द्वारा मंच का अनुचित उपयोग करने की कड़ी निंदा करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पारिस्थितिकी और जलवायु विषयक मंच को राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है।”

भारत ने गिनाईं बदलती परिस्थितियाँ

मंत्री ने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर के बाद से तकनीकी, सामाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर कई बदलाव आए हैं जिनके कारण संधि की शर्तों पर पुनर्विचार ज़रूरी हो गया है। उन्होंने इन बदलावों में निम्नलिखित को प्रमुख बताया:

  • जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों का पिघलना
  • सीमा पार आतंकवाद
  • जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती पानी की मांग
  • तकनीकी प्रगति और जल परियोजनाओं की आवश्यकता

‘झूठे आरोप बंद करे पाकिस्तान’

भारत ने स्पष्ट किया कि संधि की मूल भावना “सद्भावना और मित्रता” पर आधारित है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार की जा रही आतंकवादी गतिविधियाँ इस भावना के विरुद्ध हैं। मंत्री ने चेतावनी दी:

“जो देश खुद संधि का उल्लंघन कर रहा है, वह दूसरों पर आरोप लगाने का अधिकार खो चुका है।”

पाकिस्तान का पलटवार: भारत ने पार की ‘लाल रेखा’

उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सम्मेलन में भारत पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भारत सिंधु जल संधि को “राजनीतिक हथियार” की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत का संधि को एकतरफा रूप से स्थगित करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और यह “लाखों लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहा है।”

ग्लेशियर सम्मेलन: वैश्विक मंच पर पानी और पर्यावरण की चिंता

संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य ग्लेशियरों की भूमिका को वैश्विक जल संकट के समाधान में रेखांकित करना है। इसमें 80 देशों के प्रतिनिधियों सहित 2,500 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।

सिंधु जल संधि विवाद की पृष्ठभूमि

सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी। इसका मकसद सिंधु नदी प्रणाली के जल का न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करना था। लेकिन हाल ही में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने संधि को स्थगित करने की चेतावनी दी थी।

दुशांबे सम्मेलन में सामने आई भारत की कड़ी प्रतिक्रिया से साफ है कि अब भारत सिंधु जल संधि को एकतरफा दायित्व नहीं मानता। वहीं, पाकिस्तान इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है। आने वाले दिनों में इस संधि को लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संघर्ष और बढ़ सकता है।

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