सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश पर लगाई रोक, कमलनाथ को वापस मिला स्टार प्रचारक का दर्जा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2नवंबर।
मध्य प्रदेश उपचुनाव के लिए कांग्रेस नेता कमलनाथ को स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने के चुनाव आयोग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। 30 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने कमलनाथ को कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने का आदेश दिया। 31 अक्टूबर को चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आज (सोमवार) को आयोग के फैसले पर स्टे लगा दिया है और कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा बहाल कर दिया है।

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा था कि आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन और कमलनाथ को जारी की गई सलाह की पूरी तरह से अवहेलना करने को लेकर आयोग मध्य प्रदेश विधानसभा के वर्तमान उपचुनावों के लिए उनका अपने राजनीतिक दल के लिए स्टार प्रचारक का दर्जा तत्काल प्रभाव से समाप्त करता है। कमलनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में प्राधिकारियों की ओर से कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। जिसके बाद कमलनाथ ने इसे आवाज को दबाने की कोशिश बतातते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया।

मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। तीन नवंबर को इन सीटों पर वोट डाले जाएंगे और 10 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने से खाली हुए हैं, वहीं दो सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन से और एक सीट बीजेपी विधायक की मौत से खाली हुई है।

मध्य प्रदेश में 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ के नेतृ्त्व में प्रदेश में सरकार बनाई थी। इस साल मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बागी तेवर अपनाते हुए विधायकी और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिससे कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तीन दिन बाद, 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई थी। बाद कांग्रेस के तीन और विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। बता दें कि इन 28 सीटों में जीत-हार से राज्य की सरकार का भी फैसला होना है।

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