कश्मीर में पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के 14 लोगों की हत्या

 कश्मीर में पत्रकारों को धमकियां

इंद्र वशिष्ठ
कश्मीर में इस साल आतंकियों द्वारा तीन कश्मीरी पंडितों समेत अल्पसंख्यक समुदायों के 14 लोगों हत्या की गई है.
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में यह जानकारी दी.

पंडितों की सुरक्षा में विफल?-
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने सरकार से सवाल पूछा कि क्या सरकार कश्मीर में अल्पसंख्यकों विशेष कर कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है?क्या कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में केंद्रीय सरकार की असमर्थता के कारण घाटी से बड़े पैमाने पर पलायन का आह्वान किया है?

सुरक्षा के लिए इंतजाम किए-
गृह राज्यमंत्री ने इसके जवाब में बताया कि केंद्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है. जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. आतंकी हमलों में काफी कमी आई है, वर्ष 2018 में हुए 417 हमलों की तुलना में वर्ष 2021 में 229 हमले हुए हैं.
जनवरी 2022 से 30 नवंबर तक कश्मीर में आतंकियों द्वारा तीन कश्मीरी पंडितों समेत 14 अल्पसंख्यकों की हत्या की गई है.
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने अपने लोगों की सुरक्षा चिंताओं का मुद्दा उठाया है.
अल्पसंख्यकों के जीवन की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा विभिन्न उपाय किए गए हैं, जिनमें शामिल है सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था, महत्वपूर्ण स्थानों पर चौबीस घंटे नाकाबंदी, गश्त लगाना और सर्च ऑपरेशन आदि.
आतंकियों के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए जम्मू कश्मीर में मज़बूत सुरक्षा और खुफिया तंत्र मौजूद हैं.

कश्मीर में पत्रकारों को धमकियां
कश्मीर में आतंकियों द्वारा आठ पत्रकारों को धमकी दी गई. जिसके बाद चार पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया.
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी.
भाजपा के सुशील कुमार मोदी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री ने बताया कि श्रीनगर में स्थानीय समाचार पत्रों में काम करने वाले आठ पत्रकारों को आतंकी ब्लॉग ‘कश्मीर फाइट’ के माध्यम से धमकी मिली. ‘राइजिंग कश्मीर’ नामक मीडिया हाउस से जुड़े चार पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है.
इस संबंध में श्रीनगर के शेरगढी थाने में मामला दर्ज किया गया है.

स्थिति में सुधार-
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है.
जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है.
सरकार ने आतंकवादी खतरे/ हमले से पत्रकारों सहित लोगों के जीवन की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं.
सुरक्षा व्यवस्था के तहत पुलिस, सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और खुफिया एजेंसियों समेत सुरक्षा ग्रिड पूरे जम्मू कश्मीर में तैनात रहती है. ताकि आतंकियों या उनके हैंडलरो की ओर से किए जाने वाले किसी भी हमले/प्रयास को विफल किया जा सके.
आतंकियों की तलाश करने और उन्हें गिरफ्तार करने/खात्मा करने/खदेड़ने के लिए सक्रिय अभियान चलाया है.
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां पत्रकारों के जीवन की रक्षा के लिए उचित स्तर की सुरक्षा प्रदान कर रही हैं.

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