समग्र समाचार सेवा
बैंकॉक / अहमदाबाद, 15 जून: दुनिया भर में इन दिनों एक रहस्यमय संयोग ने लोगों को हैरान कर रखा है। दो अलग-अलग देशों में करीब 27 साल के अंतर से हुए विमान हादसों में एक ही सीट नंबर—11A—पर बैठे दो यात्रियों की जान बचना, सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए यह किस्मत और चमत्कार का प्रतीक बन गया है।
1998: थाईलैंड की फ्लाइट हादसे में 11A से बची थी जान
27 साल पहले, 1998 में थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 थाईलैंड के सुरथानी एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गई थी। विमान में 146 यात्री सवार थे, जिनमें से 101 की मौत हो गई थी। इस भयानक हादसे में जो कुछ लोग बच पाए, उनमें से एक थे थाई अभिनेता और म्यूजिशियन जेम्स रूआंगसक लॉयचुसक, जिनकी उम्र तब 20 वर्ष थी। वे सीट 11A पर बैठे थे।
हादसे के बाद जेम्स ने बताया कि उन्होंने 10 वर्षों तक हवाई यात्रा से दूरी बनाए रखी। फ्लाइट में बैठना, खिड़कियां बंद होना, या बादलों को देखना—ये सब उन्हें असहज कर देता था।
“मैं किसी से बात नहीं करता था। अगर बाहर काले बादल दिखते, तो लगता जैसे मैं नर्क में हूं,”
— जेम्स रूआंगसक, MailOnline से बातचीत में
2025: अहमदाबाद विमान हादसे में दोहराया गया वही संयोग
अब 27 साल बाद, 13 जून 2025 को भारत के अहमदाबाद में एक भयानक विमान दुर्घटना हुई। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, एक Boeing 787-8 ड्रीमलाइनर, अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने के सिर्फ 33 सेकंड बाद ही क्रैश हो गई। विमान एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से टकरा गया, और इस हादसे में 241 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
लेकिन इस तबाही में एकमात्र जीवित बचे यात्री थे विश्वास कुमार रमेश—और उनकी सीट संख्या भी वही थी: 11A।
सोशल मीडिया पर मचा हड़कंप, चमत्कारी सीट का बना चर्चा का विषय
जैसे ही यह खबर फैली कि दो अलग-अलग हादसों में एक ही सीट नंबर के यात्री बचे, सोशल मीडिया पर सीट 11A ट्रेंड करने लगी।
जेम्स रूआंगसक ने खुद अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा:
“भारत के विमान हादसे में जो इकलौता व्यक्ति बचा, वह भी मेरी तरह सीट 11A पर था। ये पढ़कर रोंगटे खड़े हो गए।”
इस चौंकाने वाले संयोग को कई लोग दिव्य हस्तक्षेप, किस्मत का करिश्मा और परमात्मा की कृपा मान रहे हैं। जबकि कुछ विशेषज्ञ इसे सांख्यिकीय संभावना का हिस्सा मानते हुए अंधविश्वास से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं।
विज्ञान, संयोग या चमत्कार?
जहां एक ओर विमानन सुरक्षा और तकनीक के प्रश्न उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सीट 11A की यह अनोखी कहानी लोगों को आश्चर्य और रहस्य से भर रही है। दो अलग-अलग दशक, दो अलग-अलग देश, दो अलग-अलग व्यक्ति—लेकिन एक समान सीट और बचाव की कहानी।
यह घटनाक्रम एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कभी-कभी जीवन के कुछ पल तर्क से परे जाकर केवल विश्वास और चमत्कार में तब्दील हो जाते हैं।
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