“48 विधायक हनी ट्रैप का शिकार”: कर्नाटक मंत्री ने राजनीतिक हनी ट्रैप मामलों की जांच की मांग की

समग्र समाचार सेवा
बेंगलुरु,21 मार्च।
कर्नाटक की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री सतीश जारकीहोली ने विधानसभा में दावा किया कि न केवल उन्हें, बल्कि बीते दो दशकों में कर्नाटक विधानसभा के कम से कम 48 विधायकों को हनी ट्रैप का शिकार बनाया गया है। जारकीहोली का यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें एक अन्य कर्नाटक मंत्री को हनी ट्रैप में फंसाने के प्रयास की बात सामने आई थी।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले जारकीहोली ने यह भी कहा कि उन्हें दो बार इस तरह के हमलों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे असफल रहे। इस मुद्दे को पूर्व बीजेपी मंत्री वी सुनील कुमार ने विधानसभा में उठाया और इसे सरकार के भीतर एक “हनी ट्रैप फैक्ट्री” करार दिया। कुमार ने गृह विभाग से इस मामले की विस्तृत जांच करने की मांग की।

जारकीहोली के आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि बीते 20 वर्षों से हनी ट्रैप की रणनीति कर्नाटक की राजनीति में अपनाई जा रही है। इस दौरान कांग्रेस, बीजेपी और जनता दल (सेक्युलर) सहित सभी दलों के नेता इसका शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा, “यह कोई नया मामला नहीं है। अतीत में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। 48 विधायकों के नाम इस मामले में आ रहे हैं, जिन्हें निशाना बनाया गया था। इनमें से कई अदालत भी गए और हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर प्राप्त किया। यह किसी एक पार्टी तक सीमित नहीं है। अब मेरा नाम भी इस चर्चा में जोड़ा जा रहा है।”

जारकीहोली ने इस प्रथा को राजनीतिक ईमानदारी को कमजोर करने वाला करार दिया और कहा कि इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह 20 वर्षों से जारी है और इन घटनाओं का राजनीतिकरण बंद होना चाहिए। सरकार को विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए, न कि ऐसे छलपूर्ण और जबरन वसूली के तरीकों को बढ़ावा देना चाहिए।”

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने उच्च स्तरीय जांच कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की सच्चाई सामने लाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी। जारकीहोली ने भी गृह विभाग से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया और कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वह औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे।

इसी दिन, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एक और करीबी तुमकुरु के मंत्री केएन राजन्ना ने भी यह खुलासा किया कि एक तुमकुरु के मंत्री को भी हनी ट्रैप का शिकार बनाया गया था। उन्होंने कहा कि “तुमकुरु से केवल दो मंत्री हैं – मैं और गृह मंत्री। लेकिन मैं दूसरे व्यक्ति का नाम नहीं लेना चाहता।”

बीजेपी ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल और विस्तृत जांच की मांग की है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीटी रवि ने कहा कि “यदि सतीश जारकीहोली जैसे वरिष्ठ नेता ने इस मामले को उठाया है, तो इसमें जरूर सच्चाई होगी।” उन्होंने मांग की कि एक विशेष टीम बनाकर जांच की जाए और इसके पीछे के मास्टरमाइंड को बेनकाब किया जाए।

बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि हाल ही में तुमकुरु जिले में भी एक इसी तरह की घटना हुई थी, जहां बीजेपी नेता अन्नप्पा स्वामी को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी। इस मामले में दो महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था। स्वामी ने आरोप लगाया था कि एक महिला ने फेसबुक पर दोस्ती की और फिर अंतरंग वीडियो के जरिए ब्लैकमेल किया।

राजनीति में हनी ट्रैप का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस नए खुलासे के बाद इस पर बहस छिड़ गई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह की घटनाओं पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह राजनीतिक प्रक्रिया में विश्वास को और कमजोर कर सकती हैं और राज्य की सुशासन प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं।

जांच के बीच, कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस मुद्दे पर तेजी से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। दोनों दल चाहते हैं कि जो लोग इस तरह के जाल बिछा रहे हैं, उनकी पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाए।

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह मामला कर्नाटक की राजनीतिक समीकरणों को बदल पाएगा? फिलहाल, हनी ट्रैप का साया कर्नाटक की राजनीति पर मंडराता नजर आ रहा है।

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