हेमंत सोरेन के 5 दांव, जिनसे झारखंड में बिगड़ा बीजेपी का खेल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 नवम्बर।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ और रणनीतियों से न केवल अपनी सरकार को स्थिर बनाए रखा, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभाव को भी राज्य में कमजोर किया है। पिछले कुछ वर्षों में सोरेन ने ऐसे कई कदम उठाए, जो झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में “गेमचेंजर” साबित हुए।

1. आदिवासी वोटबैंक पर मजबूत पकड़

झारखंड में आदिवासी समुदाय की बड़ी जनसंख्या है, जो राज्य की राजनीति को प्रभावित करती है। हेमंत सोरेन ने इस वर्ग को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए आदिवासी हितों पर विशेष ध्यान दिया। आदिवासी संस्कृति, भूमि अधिकार, और रोजगार से जुड़े मुद्दों पर उनकी सरकार की नीतियों ने भाजपा को इस क्षेत्र में कमजोर कर दिया।

2. ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन

हेमंत सोरेन ने केवल आदिवासियों पर ही नहीं, बल्कि ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों पर भी ध्यान केंद्रित किया। इन वर्गों को आरक्षण, शिक्षा, और रोजगार में प्राथमिकता देने के कारण उन्होंने अपने समर्थन आधार को मजबूत किया। भाजपा इन समुदायों को अपने पक्ष में करने में नाकाम रही।

3. जनता से जुड़ाव और कल्याणकारी योजनाएं

सोरेन सरकार ने कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू कीं, जिनमें ‘फार्मर्स पेंशन योजना’, ‘झारखंड रोजगार गारंटी योजना’, और ‘स्टूडेंट स्कॉलरशिप प्रोग्राम’ प्रमुख हैं। इन योजनाओं ने ग्रामीण और गरीब जनता का विश्वास जीता और भाजपा के “डबल इंजन सरकार” के प्रचार को कमजोर किया।

4. भाजपा पर हमलावर रुख

हेमंत सोरेन ने अपने भाषणों और राजनीतिक रणनीतियों में भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया। केंद्र सरकार की नीतियों और झारखंड के प्रति भाजपा के रवैये को लेकर उन्होंने लगातार सवाल उठाए। इससे जनता के बीच यह संदेश गया कि सोरेन सरकार उनके हितों के लिए संघर्ष कर रही है।

5. गठबंधन की मजबूती

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राजद के गठबंधन को सोरेन ने बड़ी कुशलता से संभाला। उन्होंने सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाए रखा, जिससे भाजपा को राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए आवश्यक राजनीतिक अवसर नहीं मिल सके।

भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति

हेमंत सोरेन के इन पांच कदमों ने भाजपा की रणनीतियों को कमजोर कर दिया। 2024 के चुनावों से पहले भाजपा के सामने चुनौती यह है कि वह झारखंड में अपनी खोई हुई जमीन कैसे वापस पाए।

निष्कर्ष

हेमंत सोरेन की रणनीतियों ने झारखंड में राजनीतिक संतुलन को झामुमो के पक्ष में झुका दिया है। उनकी कल्याणकारी योजनाएं और मजबूत नेतृत्व भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस स्थिति से उबरने के लिए कौन-से नए दांव खेलती है।

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