5वें शिक्षा महाकुंभ, एनआईपीईआर मोहाली में भारत के शिक्षकों से मूल्य-आधारित शिक्षा के लिए नीडोनॉमिक्स को अपनाने का आग्रह किया गया।

मोहाली, 31 अक्टूबर: एनआईपीईआर मोहाली में आयोजित 5वें शिक्षा महाकुंभ में नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट (एनएसटीके प्रवर्तकतीन बार कुलपति रहे, तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्रोमदन मोहन गोयल ने “21वीं सदी के शिक्षक नीडोनॉमिक्स रूपरेखा मेंवैश्विक नागरिकता के लिए स्वाभाविक अधिगम का पोषण” विषय पर अध्यक्षीय संबोधन दिया।  कार्यक्रम का स्वागत भाषण एवं परिचय टीचर्स ऑफ भारत के संयोजक नारायण सिंह ने दिया। इस अवसर पर पंजाब विद्या भारती के अध्यक्ष मेजर जनरल सुरेश खजूरिया तथा श्री रेज़वान अहमद (रैपोर्टरभी उपस्थित रहे।

 

प्रो. गोयल ने अपने उद्बोधन में कहा कि 21वीं सदी में शिक्षक नवाचारक के रूप में परिवर्तन के अग्रदूत हैं और उन्हें केवल सूचना देने वाले नहीं, बल्कि मानवता के मार्गदर्शक  बनना होगा।

उन्होंने “भारत” को पुनर्परिभाषित करते हुए कहा कि “भा” का अर्थ ज्ञान और “रत” का अर्थ खोज करने वाला है — अतः भारत एक ज्ञान-खोजी राष्ट्र है, जहाँ शिक्षा का उद्देश्य जिज्ञासा, विवेक और सृजनशीलता को विकसित करना होना चाहिए।

प्रो. गोयल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह आवश्यक तो है, परंतु पर्याप्त नहीं जब तक इसे नीडोनॉमिक्स के साथ नहीं जोड़ा जाता — जो नैतिक, आध्यात्मिक और मूल्य-आधारित शिक्षा का समन्वय करता है।

उन्होंने कहा कि नीडो-एजुकेशन सीखने, रोजगार और उद्यमिता के बीच की खाई को पाटने में सहायक है तथा चरित्र के साथ दक्षता  को बढ़ावा देता है।

गीता से प्रेरित दर्शन “योगक्षेमं वहाम्यहम्” (आपका कल्याण हमारी जिम्मेदारी है) का उल्लेख करते हुए प्रो. गोयल ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे नीडो-टीचिंग अपनाएँ — जो आध्यात्मिकता और भौतिकता में संतुलन लाती है और विद्यार्थियों को “वसुधैव कुटुम्बकम्” (विश्व एक परिवार है) की भावना के अंतर्गत जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनाती है।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे स्ट्रीट स्मार्ट  बनें — Simple (सरल), Moral (नैतिक), Action-oriented (कर्मठ), Responsive (उत्तरदायी) और Transparent (पारदर्शी) — ताकि कक्षाओं को चेतना के केंद्र में बदला जा सके और शिक्षा को केवल साक्षरता से आगे ले जाकर जीवन-मूल्यों का माध्यम बनाया जा सके, जिससे भारत विकसित भारत @2047 के लक्ष्य की ओर अग्रसर हो।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.