एनटीपीसी दादरी का भारत का सबसे स्वच्छ कोयला आधारित संयंत्र बनने का प्रयास

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर।

एनटीपीसी दादरी देश का सबसे स्वच्छ कोयला संयंत्र बनने की दिशा में प्रयास कर रहा है और उत्सर्जन के मामले में सीपीसीबी के सभी दिशानिर्देशों की अनुपालना कर रहा है। सभी उत्सर्जन मापदंडों की निगरानी ऑनलाइन की जाती है और वास्तविक समय के आधार पर केंद्रीय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को प्रेषित की जाती है।
फ्ल्यू गैस उत्सर्जन और पार्टिकुलेट के मामले 210 मेगावॉट की सभी 4 इकाइयों में और 490 मेगावाट की 2 इकाइयों में उच्च दक्षता वाले ईएसपी के साथ
सीपीसीबी मानदंडों के अनुकूल ही हैं। सल्फर ऑक्साइड में कमी के लिए, ड्राई सोरबेंट इंजेक्शन (डीएसआई) प्रणाली देश में पहली बार यूसीसी,
यूएसए की टैक्नोलॉजी के साथ 210 मेगावाट की इकाइयों में स्थापित की गई है और अब सभी चार इकाइयां उत्सर्जन मानदंडों को पूरा कर रही हैं तथा बी एच ई एल द्वारा एफ जी डी सिस्टम लगाया जा रहा है, जो जापान के मित्सुबिशी पावर वक्र्स की टैक्नोलॉजी के साथ 490 मेगावाट इकाइयों में कार्यान्वयन के उन्नत चरण में है।

सभी 210 मेगावाट इकाइयां पहले से ही नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप थीं। 490 मेगावॉट की इकाइयों में एसओएफए (सेपरेट ओवरफायर एयर) सिस्टम स्थापित किया गया है और सभी इकाइयां अब नाइट्रोजन ऑक्साइड के मानदंडों का अनुपालन करती हैं। एनटीपीसी दादरी बॉयलरों में कोयले के साथ-साथ बायोमास पैलेट्स की को-फायरिंग की दिशा में भी अग्रणी रहा है। पैलेट्स भूसी या कृषि-अवशेषों से बने होते हैं, जिन्हें अन्यथा एनसीआर क्षेत्र में जलाया जाता और इस तरह वे इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने का काम करते। एनटीपीसी दादरी के बॉयलरों में 8000 से
अधिक टन पैलेट्स का इस्तेमाल किया गया है, और इस तरह लगभग 4000 एकड़ खेत के अवशेषों को जलाने से बचाया गया है।
एनटीपीसी दादरी ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करके, अनुपालन से परे जाकर, पानी की खपत में भी नए मानदंड स्थापित किए हैं।

सस्टेनेबल एनवायर्नमेंट के लिए एनटीपीसी के प्रयासः

एनटीपीसी ने ऊर्जा के क्षेत्र में परिवर्तन को विकेन्द्रीकृत, विघटित और डिजिटलाइज्ड ऊर्जा में बदलने का प्रयास किया है। यह कंपनी की प्राथमिकताओं के लिए एक व्यापक फ्रेमवर्क उपलब्ध कराता है, ताकि डीकॉर्बनाइजेशन और वायु उत्सर्जन नियंत्रण, जल और जैव विविधता संरक्षण, सर्कुलर इकोनॉमी, स्वास्थ्य और सुरक्षा, सामुदायिक विकास, मजबूत वित्त और नैतिकता और सतत आपूर्ति श्रृंखला में चुनौतियों का सामना किया जा सके।
पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में एनटीपीसी ने इस क्षेत्र में अपनी ओर से अनेक ऐसे कदम उठाए हैं, जो इस दिशा में पहले प्रयास माने जाते हैं। एनटीपीसी बिजली उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों के उपयोग की दिशा में काम कर रहा है और खेती के अवशेषों को जलाने की परंपरा की रोकथाम का प्रयास कर रहा है।  एनटीपीसी देश भर में अपने सभी संयंत्रों में सल्फर डाइऑक्साइड को कम करने वाली टेक्नोलॉजी ‘फ्ल्यू गैस डीसल्फ्यूराइजेशन‘ (एफजीडी) स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।

एनटीपीसी टिकाऊ पर्यावरण के लिए विभिन्न किस्म के अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं का संचालन करने की दिशा में भी काम कर रहा है।
एनटीपीसी अक्षय ऊर्जा (आरई) स्रोतों की महत्वपूर्ण क्षमताओं को जोड़कर अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो को हरित बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। 2032 तक, कंपनी की योजना अक्षय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से न्यूनतम 32000 मेगावाट क्षमता हासिल करने की है, जो एनटीपीसी की कुल बिजली
उत्पादन क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा होगा।

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