समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,18 दिसंबर।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई चर्चा का उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि यह चर्चा जनता को संविधान की ताकत का एहसास कराएगी और लोकतंत्र की गहरी जड़ों को समझने का अवसर प्रदान करेगी। श्री शाह ने कहा कि संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ करने वाले अनुभवजन्य घटनाओं से सबक ले सकते हैं।
श्री शाह ने कहा कि आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हमें सरदार पटेल को धन्यवाद देना चाहिए, जिनके अथक प्रयासों के कारण भारत एकजुट होकर आगे बढ़ा। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान ने यह सुनिश्चित किया कि लोकतंत्र बिना किसी रक्तपात के मजबूती से स्थिर रहा। उन्होंने यह भी कहा कि जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से तानाशाही और अभिमान को ध्वस्त करने का काम किया।
Many political pundits worldwide predicted that India would not survive as a country. Some doubted the possibility of upholding democratic values and achieving economic self-reliance
Today, when we look back after 75 years, it is because of the unwavering efforts of Sardar… pic.twitter.com/zLCQZ4nNmc
— PIB India (@PIB_India) December 17, 2024
अमित शाह ने कहा कि आर्थिक आत्मनिर्भरता के बारे में पूर्वाग्रह रखने वालों को भारत ने अपने संविधान और मेहनत के जरिए जवाब दिया है। उन्होंने गर्व से कहा कि आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और ब्रिटेन, जिसने वर्षों तक भारत पर शासन किया, आज भारत से पीछे है।
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संविधान निर्माण की प्रक्रिया पर प्रकाश
श्री शाह ने कहा कि भारत का संविधान एक अनूठा दस्तावेज है, जो दो साल, 11 महीने और 18 दिन की विस्तृत चर्चा के बाद तैयार हुआ। उन्होंने संविधान सभा की विविधता पर जोर देते हुए कहा कि इसमें सभी धर्मों, जातियों और समुदायों का समावेशी प्रतिनिधित्व था।
उन्होंने बताया कि संविधान निर्माण प्रक्रिया में 13 समितियों और 7 सदस्यीय ड्राफ्टिंग समिति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान संविधान का मसौदा जनता की राय के लिए भी प्रस्तुत किया गया था, जो दुनिया के अन्य संविधानों में दुर्लभ प्रक्रिया है।
संविधान की भारतीयता और मूल्य
अमित शाह ने कहा कि हमारा संविधान भारतीय मूल्यों और परंपराओं का दर्पण है। उन्होंने इसमें मौजूद भगवान राम, महावीर, बुद्ध, गुरु गोविंद सिंह, शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे महान हस्तियों के चित्रों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये चित्र भारत की समृद्ध विरासत और मूल्यों को उद्घोषित करते हैं।
संविधान में संशोधनों का विश्लेषण
अमित शाह ने कहा कि संविधान संशोधन समय की मांग है और अनुच्छेद 368 के तहत इसे बदलने का प्रावधान दिया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार ने अब तक 22 बार संविधान में संशोधन किया है, जबकि विपक्षी दल ने 55 वर्षों में 77 संशोधन किए। उन्होंने विपक्ष द्वारा किए गए संशोधनों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या ये लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए थे या सत्ता बनाए रखने के लिए।
संविधान के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं
अमित शाह ने 1951 में हुए पहले संशोधन का जिक्र किया, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान की भावना से खिलवाड़ करने वाली ऐसी घटनाओं की जनता को जानकारी होनी चाहिए।
भविष्य के लिए संकल्प
अमित शाह ने कहा कि यह चर्चा किशोरों, युवाओं और संसद के सभी सदस्यों के लिए शिक्षाप्रद है। उन्होंने महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी को याद करते हुए कहा कि भारत दुनिया के सामने अपने ओजस्वी स्वरूप में खड़ा होगा।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की खूबसूरती यह है कि यह देश की विविधता और मूल्यों को संरक्षित करते हुए भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।
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