दुनिया में 85 करोड़ लोगों के पास कोई आधिकारिक पहचान-पत्र नहीं: विश्व बैंक
प्रथम डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य-समूह बैठक का लखनऊ में पहला दिन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14फरवरी।भारत की जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत तीन दिवसीय प्रथम डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य-समूह की बैठक का लखनऊ में शुरू हो गई। बैठक का उद्घाटन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, संचार एवं रेलवे मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री अलकेश कुमार शर्मा, उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र तथा विदेशी प्रतिनिधि व अन्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें वर्चुअल वास्तविकता और कृत्रिम बौद्धिकता तथा एएसके एआई, एएसके जीआईटीए, एआई चेस, दैनिक जीवन में कृत्रिम बौद्धिकता, डिजिटल भारत यात्रा, लखनऊ वीआर पर्यटन और केंद्र सरकार व उत्तरप्रदेश सरकार की विभिन्न पहलों जैसे नवोन्मेषी समाधान शामिल थे।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री अलकेश कुमार शर्मा ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने साइबर सुरक्षा, डिजिटल प्रतिस्पर्धा के पोषण व उन्नयन और डिजिटल अर्थव्यवस्था में डीपीआई के विकास में कार्य-समूह के महत्त्व पर जोर दिया।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने 10 से 12 फरवरी, 2023 तक हाल में आयोजित होने वाले वैश्विक निवेशक शीर्ष सम्मेलन करते हुये बताया कि उक्त कार्यक्रम के दौरान 33,50,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और रेलवे मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने श्रोताओं को सम्बोधित किया तथा इस बात पर प्रकाश डाला कि इंडिया-स्टैक को कोई भी देश कैसे विकसित और उपयोग कर सकता है, जिसके तहत सार्वजनिक-निजी साझेदारी के जरिये डिजिटल प्रौद्योगिकी की क्षमता प्रकट होती है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने रोबोटिक्स, ड्रोन, एडेटिव विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में विभिन्न पहलों को स्वीकृति दी जा चुकी है, ताकि उद्योग 4.0 को प्रोत्साहन दिया जा सके। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि लोगों के जीवन तथा शासन और लोकतंत्र के सार-तत्त्व को कैसे प्रौद्योगिकी बदल सकती है।
दिन के पहले सत्र का विषय ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चरः शेयरिंग इंप्लीमेंटेशन एस्पीरियंसेस ऑफ डिजिटल आईडेन्टिटी इन वेरियस कंट्रीज’ था। इस सत्र में विश्व बैंक के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी श्री जोनाथन मार्सकेल, यूआईडीएआई के सीईओ डॉ. सौरभ गर्ग, एक-स्टेप फाउंडेशन के सीटीओ डॉ. प्रमोद वर्मा, इंडोनेशिया के श्री इचवान एम नासूटियन, जर्मनी की डॉ. एरिना एलेक्जेंड्रा सोयफ्की और यूरोपीय संघ के श्री फेबियन डेलक्रॉस जैसे जाने-माने वक्ताओं ने अपने विचार रखे। सत्र के दौरान, विश्व बैंक ने खुलासा किया कि दुनिया में 85 करोड़ लोगों के पास कोई आधिकारिक पहचान-पत्र नहीं है तथा वह लगभग दो अरब डॉलर के वित्तपोषण के आधार पर लगभग 50 देशों में डिजिटल आईडी समाधान को समर्थन दे रहा है। सत्र के दौरान डिजिटल जन अवसंरचना के अन्य पक्षों को तैयार करने की बुनियाद के रूप में ‘आधार’ के महत्त्व को रेखांकित किया गया। सत्र में डेटा सुरक्षा, संरक्षा और निजता सुनिश्चित करने के लिये एक मजबूत कानूनी प्रारूप की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।
दूसरे सत्र का विषय ‘शेयरिंग ऑफ साइबर सेक्योरिटी सॉल्यूशंस फॉर एमएसएमई’ था, जिसमें डीएससीआई के सीईओ श्री विनायक गोडसे, फ्रांस के श्री फ्रेडरिक सॉवेज, ब्रिटेन के श्री क्रेग स्टैनली-एडमसन, सऊदी अरब की सुश्री बस्माह-अलजेदाई, ऑस्ट्रेलिया की सुश्री कैमिले दी’ बुर्ग, माइक्रोसॉफ्ट के श्री संदीप अरोड़ा और मास्टर कार्ड के श्री डेरेक पिलर ने शिरकत की। सत्र के दौरान फ्रांस के साइबर परिसर, ब्रिटेन की राष्ट्रीय साइबर रणनीति, वर्ष 2030 के लिये केंद्रीयकृत शासन के बारे में सऊदी अरब की परिकल्पना पर भी चर्चा की गई। उपस्थितजनों ने क्षमता निर्माण की जरूरत को रेखांकित किया और साइबर खतरे का दुष्प्रभाव, मौजूदा इको-प्रणाली रुझान तथा छोटे व्यापारों के लिये वैश्विक साइबर गठबंधन टूल-किट पर चर्चा की। सत्र में तीन स्टार्ट-अप कंपनियों – प्रोफेज़, पायातू और वाई-जंगल – ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सामने मौजूद साइबर सुरक्षा खतरों पर बात की और उसका समाधान पेश किया। कंपनियों ने मौजूदा साइबर सुरक्षा परिदृश्य पर अपनी विशेषज्ञता व नजरिया प्रस्तुत किया तथा ऐसे उपाय सुझाये, जिनसे एमएसएमई साइबर खतरों से अपनी सुरक्षा कर सकती हैं।
तीसरे सत्र का विषय ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर टू बूस्ट दी अटेनमेंट ऑफ एसडीजी’ था, जिसमें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेसन की डॉ. पॉलिन बसिंगा, यूएनडीपी से केज़ोम एनगोडुप मस्साल्ले, ब्रिटेन से श्री जोशुआ बैमफर्ड, तुर्किये से सुश्री मेलिसा टेकेली, ई-गव फाउंडेशन के श्री विराज त्यागी तथा को-डेवलप के श्री सीवी मधुकर ने हिस्सा लिया। प्रतिनिधियों ने सहयोग के लिये उत्कृष्ट व्यवहारों तथा डीपीआई पहलों के नतीजों को साझा किया। सफलता के लिये प्राथमिकता के तौर पर तकनीकी अंतर-संचालन के महत्त्व पर जोर दिया गया। इसके साथ ही बाजार की बढ़ोतरी के लिये स्टैक के मुक्त स्रोतों के लाभ तथा राज्य क्षमताओं को मजबूत करने पर भी चर्चा की गई। मजबूत डिजिटल अवसंरचना बनाने के लिये खुले स्रोतों, खुले एपीआई की भूमिका तथा अंतर-संचालित डिजिटल समाधानों के पर भी बातचीत की गई।
चौथा सत्र उत्तरप्रदेश राज्य की डिजिटल पहलों पर आयोजित हुआ, जिसमें इन-मोबी की डॉ. सुबी चतुर्वेदी, श्री अक्षय त्रिपाठी, श्री देवेश चतुर्वेदी, डॉ. रौशन जेकब, श्री सौरभ बाबू और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से श्री विनीत कुमार ने हिस्सा लिया। ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन मेगा डेटा केंद्र, निवेश मित्र – निवेशकों के लिये एकल खिड़की प्रणाली, खनन सेक्टर के लिये खान मित्र, डिजी-शक्ति इत्यादि जैसी अनेक पहलों पर चर्चा की गई। उत्तरप्रदेश सरकार की तरफ से श्री अरविन्द कुमार, यूअर-स्टोरी के श्री अक्षय और इंफोसिस की सुश्री मीनाक्षी ने सरकार, उद्योग और अकादमिक जगत के बीच साझेदारी पर चर्चा की। लाभार्थियों के साथ बातचीत का भी आयोजन किया गया।
अंतिम विषयगत सत्र में ‘दी यूज़ ऑफ जियो-स्पेशल टेक्नोलॉजीस फॉर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट इन डिजिटल इकोनॉमी’ पर चर्चा की गई। वक्ताओं में उत्तरप्रदेश के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस सेंटर के कंप्यूटर इमेज प्रोसेसिंग डिविजन के प्रमुख श्री सुशील चंद्रा, भारत सरकार के बीआईएसएजी-एन के अपर महानिदेशक डॉ. विनय ठाकुर और मैप-माई-इंडिया के सीईओ श्री रोहन वर्मा ने शिरकत की। सत्र में बताया गया कि कैसे जीआईएस वास्तविक समय में यातायात डेटा को उपयोगकर्ताओं से प्राप्त करता है और उसके बाद उन्हें साझा करके कारगर सेवायें प्रदान करता है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सुशील पाल ने समापन वक्तव्य दिया।
लखनऊ में डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य-समहू की बैठक का पहला दिन बहुत सफल रहा। उसमें 36 जाने-माने वक्ताओं ने 700 से अधिक पंजीकृत उपस्थितजनों के साथ अपनी विशेषज्ञता और नजरिया साझा किया। दूसरा दिन भी इतना ही विचारोत्तेजक होगा, जिसमें मुख्य व्याख्यान भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील (ट्रोइका सदस्यों) का होगा। विषयगत सत्रों में डिजिटल जन अवसंरचना, साइबर सुरक्षा और डिजिटल अर्थव्यवस्था में डिजिटल कौशल जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जायेगी। डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य-समूह के लिये ये प्राथमिक एजेंडा हैं।
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