समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 जनवरी। दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक सनातन धर्म की जड़ें इसकी परंपराओं, रीति-रिवाजों और अद्वितीय संस्कृति में गहरी बसी हुई हैं। ऐसे में 87 वर्षीय के० एन० कृष्णा भट जैसे व्यक्तित्व, जो दशकों से एक पुजारी के रूप में सेवा कर रहे हैं, इस धर्म की अमरता और दिव्यता के जीवंत प्रतीक हैं।
दशकों से निभा रहे हैं पुजारी का दायित्व
के० एन० कृष्णा भट कई दशकों से अपने मंदिर में शिवलिंग की पूजा और सेवा कर रहे हैं। इस शिवलिंग की लंबाई 9 फीट से अधिक है, और भट जी इसे अकेले ही रोजाना साफ करते हैं। यह कार्य केवल शारीरिक मेहनत नहीं है, बल्कि इसके पीछे उनका दृढ़ संकल्प, सादगी और भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था का भाव छिपा है।
हर दिन की शुरुआत पूजा से
उनका दिन तड़के सुबह शुरू होता है। 87 वर्ष की आयु के बावजूद, वे अपनी दिनचर्या में कोई ढील नहीं देते। शिवलिंग की सफाई, अभिषेक, और पूजा के हर चरण को वे अत्यंत श्रद्धा और समर्पण के साथ पूरा करते हैं। उनके कार्यों से यह स्पष्ट है कि वे केवल एक पुजारी नहीं हैं, बल्कि धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पण की मिसाल हैं।
सादगी और प्रेरणा का प्रतीक
कृष्णा भट जी का जीवन सादगी और तपस्या का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने आधुनिक सुख-सुविधाओं से दूर रहते हुए अपना संपूर्ण जीवन धर्म और संस्कृति की सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी यह साधना हमें यह सिखाती है कि सच्चा सुख बाहरी भौतिकता में नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और धर्म के प्रति प्रेम में है।
सनातन धर्म की अमरता का संदेश
अगर हर सनातनी भट जी की तरह अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं के प्रति ऐसा ही समर्पण और प्रेम दिखाए, तो यह निश्चित है कि सनातन धर्म फिर से विश्व की सबसे समृद्ध और प्रभावशाली संस्कृति बन सकता है। उनके कार्य हमें याद दिलाते हैं कि सनातन केवल पूजा का नाम नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जिसमें सादगी, सेवा, और समर्पण सर्वोपरि हैं।
निष्कर्ष
के० एन० कृष्णा भट जैसे व्यक्तित्व हमें प्रेरणा देते हैं कि उम्र चाहे जो भी हो, यदि दृढ़ संकल्प और समर्पण हो, तो हर कार्य संभव है। उनका जीवन और कार्य यह प्रमाणित करते हैं कि सच्चा धर्म वह है, जिसे पूरी निष्ठा और आत्मीयता के साथ जिया जाए। ऐसे महान व्यक्तित्व को नमन करते हुए हमें भी उनके पदचिह्नों पर चलने का प्रयास करना चाहिए।
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