हमें ‘महाबाहु ब्रह्मपुत्र’ की अपार क्षमता का सम्मान करना चाहिए- सर्बानंद सोनोवाल
सर्बानंद सोनोवाल ने बोगीबील, डिब्रूगढ़ में 46.60 करोड़ रुपये की लागत से अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल का शिलान्यास किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5जुलाई। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग-2) के तट पर बोगीबील में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (आईडब्ल्यूटी) टर्मिनल का शिलान्यास किया। पर्यटक-सह-कार्गो आईडब्ल्यूटी टर्मिनल को 46.60 करोड़ रूपए की लागत से बनाया जाएगा और इसे फरवरी, 2024 तक पूरा किया जाना है। इस टर्मिनल के बनकर तैयार होते ही, इसके द्वारा व्यापार और वाणिज्य के विकास का मार्ग प्रशस्त कर इस क्षेत्र में माल और यात्री दोनों की आवाजाही की दिशा में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन को फिर से जीवंत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है।
इस अवसर सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “यह असम की जनता के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि हम बोगीबील में पूंजीगत बुनियादी ढांचे को और मजबूती प्रदान करते हुए इस क्षेत्र में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन को फिर से जीवंत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह नई जेट्टी जलमार्ग परिवहन को एक परिवर्तनकारी कारक के रूप में सक्षम बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा निर्धारित विज़न को साकार करने में हमारी मदद करेगी। हमें ‘महाबाहु ब्रह्मपुत्र’ की अपार क्षमता का सम्मान करना चाहिए और किसी भी तरह की पारिस्थितिकीय या आर्थिक लागत को इंगित किए बिना कुशल विकास और प्रगति के सर्वोत्तम संभव तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए। अतीत में अंतर्देशीय जलमार्ग के केंद्र के रूप में डिब्रूगढ़ की ऐतिहासिक भूमिका को देखते हुए मेरा मानना है कि बोगीबील का यह आधुनिक टर्मिनल एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र के रूप में डिब्रूगढ़ की खोई हुई महिमा को पुनः प्राप्त करने की दिशा में उत्प्रेरक का करेगा और यह प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र और आने वाले दिनों में ऊपरी असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के लिए विकास का अग्रदूत बनेगा।”
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की अंतर्देशीय जलमार्ग की नोडल एजेंसी, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के तत्वावधान में आईडब्ल्यूटी टर्मिनल कई आधुनिक विशेषताओं से लैस होगा। इस टर्मिनल का कार्य इंडियन पोर्ट रेल एंड रोपवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं में कार्गो और यात्री बर्थ, पहुंच और अन्य आंतरिक सड़कें, ट्रांजिट शेड, खुला भंडारण क्षेत्र, ट्रक पार्किंग क्षेत्र, यात्री प्रतीक्षा क्षेत्र आदि शामिल हैं। इस टर्मिनल का विकास कार्गो के साथ-साथ यात्री परिवहन के संदर्भ में ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड जैसे आसपास के राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे इको-पर्यटन में भी वृद्धि होगी और एक्जिम कार्गो की आवाजाही अन्य की तुलना में कम परिवहन लागत के साथ सुगम हो जाएगी।
किफायती और कुशल साधन के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स, सीमेंट आदि जैसे अन्य नए उद्योग इस क्षेत्र में आ सकते हैं, जबकि चाय, पॉलिमर, कोयला, उर्वरक आदि जैसे मौजूदा प्रमुख व्यापार की बड़ी मितव्ययता या इकॉनोमीज़ ऑफ स्केल में और भी सुधार होगा। आधुनिक टर्मिनल के सिबसागर, माजुली, ईटानगर, जीरो वैली, पासीघाट, रोइंग, तवांग घाटी आदि जैसे प्रमुख स्थलों के साथ पर्यटन क्षेत्र के विकास के अग्रदूत के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है।
प्रधानमंत्री की “एक्ट ईस्ट नीति” के तहत, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय और आईडब्ल्यूएआई पिछले 9 वर्षों से भारत में जलमार्ग क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव ला रहे हैं। इन उपायों से देश में असाधारण रूप से उत्कृष्ट परिवर्तन आये हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलमार्गों के विकास के लिए, आईडब्ल्यूएआई की ओर से ड्रेजिंग और नदी संरक्षण के अन्य कार्यों के माध्यम से ब्रह्मपुत्र नदी में जलमार्ग को बरकरार रखने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। नदी में सिलघाट तक नौवहन सहायता और रात्रि नेविगेशन प्रणाली भी प्रदान की जाती है। पांडु और धुबरी में स्थायी टर्मिनल विकसित किए गए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान धुबरी टर्मिनल बड़े पैमाने पर उपयोगी रहा है और 385 मालवाहक जहाज धुबरी से बांग्लादेश गए हैं। पांडु टर्मिनल का प्रभावी उपयोग करने के लिए 180 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पांडु टर्मिनल को एनएच-27 से जोड़ने वाली एक वैकल्पिक सड़क पर काम चल रहा है।
बोगीबील आईडब्ल्यूटी के निर्माण से औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी जिससे परिवहन आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। यह केवल असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, रामेश्वर तेली, असम सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता कार्य, सामान्य प्रशासन मंत्री रणजीत कुमार दास, परिवहन, उत्पाद शुल्क और मत्स्य पालन मंत्री, असम सरकार, परिमल शुक्लाबैद्य उद्योग एवं वाणिज्य और सार्वजनिक उद्यम और सांस्कृतिक कार्य मंत्री, असम सरकार, बिमल बोरा; चाय जनजाति कल्याण और श्रम कल्याण विभाग मंत्री, असम सरकार, संजय किसान, संसद सदस्य (लोकसभा), प्रदान बरुआ, डिब्रूगढ़ के विఀधायक (एमएलए), प्रशांत फुकन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति और अतिथि भी उपस्थित थे।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। गुवाहाटी में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई), सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (एसडीसीएल), असम पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (एटीडीसी) और अंतर्देशीय जल परिवहन निदेशालय (डीआईडब्ल्यूटी) असम के बीच ‘नदी आधारित पर्यटन सर्किट’ विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह सागरमाला परियोजना गुवाहाटी स्थित सात ऐतिहासिक मंदिरों कामाख्या, पांडुनाथ, अश्वक्लांता, डौल गोविंदा, उमानंद, चक्रेश्वर और औनियाती सत्र को जोड़ेगी। यह सर्किट हनुमान घाट, उज़ान बाज़ार से निकलेगा और उपरोक्त सभी मंदिरों को कवर करते हुए जलमार्ग के माध्यम से अपनी यात्रा पूरी करेगा। इस सर्किट को पूर्ण करने में इस नौका सेवा का कुल यात्रा समय 2 घंटे से भी कम रह जाने की संभावना है।
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