भारत में मौजूद कई धर्मों के बीच इस्लाम भी एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण स्थान रखता है: अजीत डोभाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13जुलाई। मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव और सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा के भारत दौरे पर हैं.

मंगलवार को इस्लामिक कल्चर सेंटर के एक इवेंट में अल-ईसा के साथ भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे. डोभाल ने इस कार्यक्रम में कहा कि आतंकवाद किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है. ऐसे में आध्यात्मिक और धार्मिक नेताओं का कर्तव्य है कि हिंसा का रास्ता अपनाने वाले लोगों को काउंटर करें.

इवेंट के दौरान धार्मिक नेताओं, स्कॉलर्स और राजनयिकों को संबोधित करते हुए अजित डोभाल ने कहा, “आतंकवाद किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है. वह तो लोग होते हैं जिन्हें गुमराह कर दिया जाता है. ऐसे में संभवतः आध्यात्मिक और धार्मिक नेताओं का यह कर्तव्य है कि वह उन लोगों का मुकाबला प्रभावी तरीके से करें जिन्होंने हिंसा का रास्ता चुना है. वह व्यक्ति किसी भी धर्म, विश्वास या राजनीतिक विचारधारा से संबंधित हो सकता है.

वैश्विक आतंकवाद की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए अजीत डोभाल ने कहा, “देश की सीमाओं के भीतर और बाहर सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए भारत उन व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है, जो उग्रवाद, नशीले पदार्थों और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.

इवेंट के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कोई भी धर्म खतरे में नहीं है. भारत एक समावेशी लोकतंत्र के रूप में अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मिक, जातीय या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बगैर उनका सम्मान करने में कामयाब रहा है. एक गौरवशाली देश के रूप में भारत समय की चुनौतियों से निपटने के लिए सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में विश्वास करता है. यह कोई संयोग नहीं है कि लगभग 20 करोड़ की मुस्लिम आबादी के बावजूद वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मौजूद कई धर्मों के बीच इस्लाम भी एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है.

भारत में मुसलमानों की आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन के लगभग 33 देशों की कुल आबादी के बराबर है. ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि भारत ने विश्व के सभी विचारों, धर्मों एवं संस्कृतियों को खुले दिल से स्वागत किया. भारत दुनिया के सभी धर्मों को सताए हुए लोगों के लिए एक घर के रूप में उभरा.

मक्का की ग्रैंड मस्जिद पर हुए आतंकवादी हमले का भी जिक्र
1979 में सऊदी अरब के मक्का में ग्रैंड मस्जिद पर हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कैसे इस घटना ने आतंकवाद को लेकर सऊदी अरब का नजरिया बदल दिया. इस हमले की वजह से आतंकवाद के मुद्दा एक बार फिर से सामने आया और सऊदी अरब को अपने सुरक्षा उपायों और विदेश नीति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

20 नवंबर 1979 को इस्लाम की पवित्र जगहों में से एक मक्का में दुनियाभर से लाखों की संख्या में मुस्लिम इकट्ठा हुए थे. सुबह की नमाज खत्म होते ही मस्जिद में पहले से मौजूद सैकड़ो हथियारबंद लोगों ने धावा बोलकर लाखों लोगों को बंधक बना लिया था. हथियारबंद लोगों ने 14 दिन तक लोगों को बंधक बनाए रखा. सऊदी सरकार को हमलावरों के खिलाफ पवित्र अल हरम मस्जिद में सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी.

फ्रांस और पाकिस्तान ने सऊदी अरब की मदद के लिए कमांडो टीम भेजी. 14 दिन की सैन्य कार्रवाई के बाद 4 दिसंबर को यह लड़ाई खत्म हुई. इस सैन्य कार्रवाई में सैकड़ों हमलावर मारे गए. जिंदा बचे हमलावरों ने सरेंडर कर दिया.

मक्का की ग्रैंड मस्जिद पर कब्जा करने वाले सभी हमलावर अल-जमा अल-सलाफिया अल-मुहतासिबा संगठन से संबंधित थे. जेएसएम संगठन सऊदी अरब में हो रहे आधुनिकीकरण का विरोध करता था. संगठन का मानना था इससे सऊदी अरब का सामाजिक और धार्मिक रूप से पतन हो रहा है.

सऊदी सरकार ने 63 लोगों को गिरफ्तार कर 9 जनवरी 1980 को सार्वजनिक रूप से सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी. माना जाता है कि इस सैन्य कार्रवाई के बाद सऊदी अरब की सूरत ही बदल गई.

मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने अपने संबोधन में भारत को लेकर क्या कहा?

अपने संबोधन में इल-ईसा ने कहा कि भारत के मुसलमानों को भारतीय होने पर गर्व है. भारत दुनिया में सह-अस्तित्व का सबसे बेहतरीन उदाहरण है.

उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि मुस्लिम भारत की विविधता का एक अहम हिस्सा हैं. भारत के मुस्लिमों को अपने भारतीय होने पर गर्व है. धर्म सहयोग का एक जरिया हो सकता है. हम समझ विकसित करने के लिए हर किसी से बात करने को तैयार हैं. भारत ने मानवता के लिए बहुत कुछ किया है.”

मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने भारत के गौरवशाली इतिहास की तारीफ करते हुए कहा कि संस्कृतियों के बीच संवाद स्थापित करना समय की मांग है. हम भारत के इतिहास और विविधता की तारीफ करते हैं. संस्कृतियों के बीच संवाद स्थापित करना समय की मांग है. विविधता संस्कृतियों के बीच बेहतर रिश्ते कायम करती है

खुसरो फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशी परिषद के अध्यक्ष सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती, पूर्व डिप्टी NSA पंकज सरन, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के साथ-साथ मुस्लिम बहुल देश मलेशिया, ईरान, ओमान, जॉर्डन और मिस्र के राजनयिक भी शामिल थे.

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