परशोत्तम रुपाला ने महाराष्ट्र में ‘मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी के लिए राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन’ की, की अध्यक्षता
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5अगस्त। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने महाराष्ट्र में ‘मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी के लिए राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन’ की अध्यक्षता की। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन, भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत किशनराव कराड, महाराष्ट्र सरकार में मत्स्य पालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, महाराष्ट्र सरकार के राजस्व, पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण एकनाथराव विखे पाटिल, मत्स्य पालन विभाग में सचिव डॉ अभिलक्ष लिखी, पशुपालन व डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय, पशुपालन एवं डेयरी विभाग में अपर सचिव वर्षा जोशी, मत्स्य पालन विभाग (अंतर्देशीय मत्स्य पालन) के संयुक्त सचिव सागर मेहरा और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड-एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एल नरसिम्हा मूर्ति, एआरएस भी उपस्थित थे। विशेष अतिथि के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक नीरज निगम और नाबार्ड में पुनर्वित्त विभाग के सीजीएम विवेक सिन्हा ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला ने महाराष्ट्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ) और पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) के सभी अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालन एवं डेयरी और मछली पालन करने वाले मत्स्य उत्पादकों, दोनों को ही उपलब्ध कराया जाना चाहिए और पहले कदम के रूप में उनके प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकसित होने की आशा बनी रहेगी। परशोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा के दौरान किसान क्रेडिट कार्ड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला अधिकारियों के साथ-साथ विभाग के अधिकारीगणों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आधारभूत तरीके से इस मुद्दे के समाधान के लिए जिला स्तर पर समीक्षा की जानी चाहिए।
मत्स्य पालन विभाग/पशुपालन एवं डेयरी विभाग और किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा किसान क्रेडिट कार्ड पर लघु वीडियो व किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ और पात्रता के साथ-साथ लाभार्थियों के प्रशंसापत्र भी साझा किए गए। परशोत्तम रुपाला ने पात्र मत्स्य पालकों व मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड कार्ड वितरित किए। लाभार्थियों ने वर्चुअल बातचीत के बाद किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उठाने के अपने अनुभव भी व्यक्त किए।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन ने पहले राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन में आने के लिए सभी का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गरीब कल्याण के एक घटक के तौर पर वित्तीय समावेशन शामिल है और ऐसी स्थिति में यह अवश्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पूरे देश में किसान क्रेडिट कार्ड को बढ़ावा देकर स्थानीय ऋणदाताओं द्वारा लगाए गए उच्च ब्याज ऋण को समाप्त कर दिया जाए। डॉ. एल मुरुगन ने सभी बैंकों से आगे आने, प्रशिक्षण देने और क्षमता निर्माण करने का आग्रह किया। महाराष्ट्र सरकार के राजस्व, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण एकनाथराव विखे पाटिल ने उपस्थित सभी बैंकरों को मानदंडों में ढील देने की सलाह दी क्योंकि मत्स्य पालन विभाग तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग दोनों क्षेत्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं और उन्हें जमीनी स्तर पर सस्ते ऋण की आवश्यकता है।
भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जैसे-जैसे भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ही जमीनी स्तर पर परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि मत्स्य पालन के सभी आवेदकों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाए, लंबित आवेदनों का यथाशीघ्र निपटारा किया जाए और बैंक या आवेदक से लौटाए गए आवेदनों पर पुनः विचार किया जाए। उन्होंने बताया कि गुजरात सरकार शून्य प्रतिशत पर ऋण देती है और राज्य सरकार की योजना की तरह ही ऐसे प्रावधान को भी कैबिनेट में प्रस्तावित किया जाना चाहिए। डॉ. भागवत किशनराव कराड ने यह सुझाव दिया कि कार्यान्वयन को आसान बनाने के लिए छोटे स्तर के विक्रेताओं व महिला दुकानदारों को विक्रेता के रूप में माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकों को योजना के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और किसान क्रेडिट कार्ड के लिए घर-घर जाकर प्रचार करना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार में मत्स्य पालन, वन और सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने सागर परिक्रमा कार्यक्रम की सराहना की और इस पहल का नेतृत्व करने के लिए केंद्रीय मंत्री को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड के आवेदकों का प्रबंधन सावधानी से किया जाना चाहिए और विक्रेताओं को भी ऋण दिया जाना चाहिए ताकि बाजार संयोजन अथवा प्रौद्योगिकी अपनाने आदि की समस्याओं का समाधान किया जा सके। मुनगंटीवार ने यह भी सुझाव दिया कि आजीविका सृजन के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के प्रावधानों का पता लगाया जाना चाहिए।
मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि मत्स्य पालन के लिए 25,000 करोड़ रुपये का ऋण लक्ष्य निर्धारित है, इसलिए व्यवसाय करने में सहजता होना महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के दौरान आवेदनों की अस्वीकृति के कारणों की जांच के लिए प्राथमिकता, झींगा पालन तथा अन्य गहन गतिविधियों के लिए वित्त के स्तर की समीक्षा, महिला विक्रेताओं के लिए ऋण, घर-घर किसान क्रेडिट कार्ड अभियान में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी को शामिल करना, क्षमता निर्माण, आउटरीच, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा संचार आदि के लिए धन की आवश्यकताएं जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया। पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने इस तथ्य को उल्लिखित किया कि भारत को ‘दुनिया की डेयरी’ के रूप में जाना जाता है और अब भारत को आत्मनिर्भरता से उद्यमिता व मूल्य संवर्धन की तरफ आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने बड़े लाभार्थी आधार के कवरेज के लिए जिला तथा ब्लॉक स्तर पर किसान क्रेडिट कार्ड आउटरीच की आवश्यकता और डीएफएस के सहयोग से निगरानी की जरूरत पर जोर दिया।
मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन) सागर मेहरा के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान वहां पर उपस्थित सभी हितधारकों से किसान क्रेडिट कार्ड योजना के कार्यान्वयन में विशिष्ट कारणों एवं अंतरालों की पहचान करने के लिए अपने विचार, मुद्दे, चुनौतियां, सुझाव व फीडबैक साझा करने का अनुरोध किया। सागर मेहरा ने इस बात पर बल दिया कि कुछ मानदंडों में ढील देने की जरूरत है और कुछ में सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि किसान क्रेडिट कार्ड देश भर के सभी पात्र किसानों तक पहुंच सके। पशुपालन एवं डेयरी विभाग की अपर सचिव वर्षा जोशी ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी में किसान क्रेडिट कार्ड की उपलब्धियों तथा इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने आग्रहपूर्वक कहा कि हितधारकों को कुछ मानदंडों में ढील देनी चाहिए और आवश्यकतानुसार उत्पादकों को जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक नीरज निगम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वित्तीय समावेशन प्राप्त करने के लिए छोटे ऋणों को बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने विचार-विमर्श के निष्कर्ष के रूप में कहा कि बैंकों को आरबीआई केसीसी दिशानिर्देशों का पालन करने की जरूरत है, इसके अलावा, बैंक कर्मचारियों को वित्तीय साक्षरता में अधिक प्रशिक्षित किया जाना चाहिए तथा पूरे वर्ष अभियान चलाया जाना चाहिए। नीरज निगम ने कहा कि संपूर्ण प्रकिया के लिए समयसीमा का पालन किया जाना चाहिए और बैंकों द्वारा सही स्थिति को प्रासंगिक रूप से सूचित किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि निगरानी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए तथा राज्य स्तर पर मुद्दों को और उजागर करने के लिए निचले स्तर यानी ब्लॉक व जिला स्तर पर लिया जाना चाहिए। नाबार्ड में पुनर्वित्त विभाग के सीजीएम श्री वी के सिन्हा ने इस बात का उल्लेख किया कि कृषि के संबद्ध क्षेत्र भी मूल क्षेत्र के समान ही महत्वपूर्ण हो गए हैं और वास्तविक क्षमता को सही आकार प्रदान करने के लिए प्रत्येक मूल्य श्रृंखला नोड पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर ध्यान आकृष्ट कराया कि नाबार्ड नियमित रूप से आरआरबी की समीक्षा कर रहा है और जमीनी स्तर पर जानकारी प्राप्त करने के लिए ऐसा करना जारी रखेगा। वी के सिन्हा ने सुझाव देते हुए कहा कि दस्तावेजीकरण से संबंधित मुद्दों पर सही नियमों का पालन करने के उद्देश्य से बैंकरों के लिए समान दिशानिर्देश उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक एबीयू और जीएसएस शांतनु पेंडसे ने अपने बैंक द्वारा किसानों को पेश किए जाने वाले उत्पादों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी, जिसमें मूल्य श्रृंखला के लिए मूल्यवर्धन/प्रसंस्करण का सहयोग करने के लक्ष्य के साथ नए विकसित उत्पाद शामिल किये गए हैं। उन्होंने बताया कि चर्चा के दौरान उजागर की गई चुनौतियों को विधिवत नोट किया गया है और इस सिलसिले में एक तत्काल उपाय के रूप में एक परामर्श जारी किया जाएगा। शांतनु पेंडसे ने केसीसी दिशानिर्देशों के अनुपालन और स्वामित्व कागजात तथा सिबिल स्कोर की कड़ाई में ढील देने के लिए आवश्यकता जताई।उन्होंने कहा कि 1.6 लाख रुपये तक कोई संपार्श्विक नहीं और गारंटर जैसे मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के नेतृत्व में सागर परिक्रमा कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने आग्रह किया कि छोटे लैंडिंग सेंटर आदि जैसी गतिविधियों के लिए सीएसआर को शामिल करने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
इस आयोजन में कुल 80,000 लोग वहां उपस्थित होकर और वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए; 35 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 370 अलग-अलग स्थानों से 21,000 मछुआरों एवं मत्सय पालकों के साथ जुड़े, 9000 प्रतिभागी उपस्थित होकर और वर्चुअल माध्यम से जुड़े, जबकि 50,000 एएचडी किसान 1000 सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से जुड़े। आउटडोर अभियान के हिस्से के रूप में डिजिटल, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया के माध्यम से लगभग 22 लाख लोगों तक पहुंचा गया और दिशानिर्देशों/एसओपी पर 7 स्थानीय भाषाओं में प्रचार सामग्री वितरित की गई तथा मत्स्य पालन के लिए केसीसी सुविधा पर वीडियो जारी किया गया। राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड-एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एल नरसिम्हा मूर्ति के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ।
Comments are closed.