इरादा सभी इच्छुक उम्मीदवारों को भाषा-तटस्थ, समान अवसर प्रदान करना है- डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में 'भारतीय भाषा उत्सव और प्रौद्योगिकी एवं भारतीय भाषा शिखर सम्मेलन' के समापन सत्र को संबोधित किया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2अक्टूबर। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि आने वाले समय में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) का लक्ष्य संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लिखित सभी 22 भारतीय भाषाओं में प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करना है। उन्होंने कहा, इरादा सभी इच्छुक उम्मीदवारों को भाषा-तटस्थ, समान अवसर प्रदान करना है।

नई दिल्ली में ‘भारतीय भाषा उत्सव और प्रौद्योगिकी और भारतीय भाषा शिखर सम्मेलन’ के समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आदेश पर इस वर्ष से एसएससी परीक्षाएं 13 भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं। यानी पहले से मौजूद हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 11 क्षेत्रीय भाषाएं, जबकि 2014 से पहले उम्मीदवारों के पास परीक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी या अंग्रेजी में से किसी एक को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि 2014 से पहले अंग्रेजी का हिंदी में अनुवाद भी बहुत खराब तरीके से किया जाता था, जिससे छात्रों को नुकसान होता था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जेईई, एनईईटी और यूजीसी परीक्षाएं 12 भारतीय भाषाओं में भी आयोजित की जा रही हैं और इस ऐतिहासिक निर्णय से स्थानीय युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा, उनकी चयन संभावनाओं में सुधार होगा और क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, राजभाषा हिंदी के अलावा भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों से अधिक समय में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सभी को अपने उचित विकास के लिए “भाषा के सम्मान” पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यूरोपीय देशों सहित सभी विकसित देश अपनी भाषा बोलने, लिखने और प्रचार-प्रसार करने में गर्व महसूस करते हैं और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए।

मंत्री ने यह भी बताया कि पीएम मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, गुजराती और बांग्ला जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्राथमिक, तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा में छात्रों की मातृभाषा को महत्व देकर एक बहुत ही ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने एनईपी को आजादी के बाद भारत में सबसे बड़ा क्रांतिकारी सुधार करार देते हुए कहा, यह भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बदल देगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जाहिर की कि अगले 25 वर्षों की अमृतकाल में भारतीय भाषाओं की यात्रा वास्तव में 2047 में भारतीय भाषाओं के उत्सव की शुरुआत करेगी, जिसे उन्होंने “भारतीय भाषाओं का उत्सव” बताया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से निर्देशित युवाओं को तैयार करने और उन्हें अमृतकाल में देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एनईपी 2020 का शुभारंभ किया गया था।” उन्होंने कहा कि एनईपी का लक्ष्य उन्हें पारंपरिक भारतीय लोकाचार से जोड़े रखते हुए भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनईपी 2020 सभी राज्यों द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग और ई-कंटेंट के विकास को बढ़ावा देता है। पीएम ई-विद्या के तहत अपलोड किए गए ई-कंटेंट/प्रोग्राम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। इसके अलावा, कई राज्यों ने अपने शिक्षा बोर्डों/एससीईआरटी के पाठ्यक्रम के अनुरूप, पीएम ई-विद्या के लिए अपनी ई-सामग्री की पेशकश और अपलोड भी की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘स्कूली शिक्षा के लिए ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर’ (दीक्षा) एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो क्यूआर कोडेड पाठ्यपुस्तकों और 33 भारतीय भाषाओं में सामग्री विभिन्न विशिष्ट ई-कंटेंट के माध्यम से कक्षा 1-12 तक के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सहायता प्रदान करती है। निष्ठा (एनआईएसएचटीएचए) के तहत 18 ऑनलाइन पाठ्यक्रम शिक्षकों के लिए 11 भाषाओं में दीक्षा मंच के माध्यम से वितरित किए जाते हैं।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, एनईपी 2020 के अनुवर्ती के रूप में चार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखाओं का विकास शुरू किया गया है। यानी स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एनसीएफ, शिक्षक के लिए एनसीएफ और वयस्क शिक्षा के लिए एनसीएफ। फाउंडेशनल स्टेज के लिए एनसीएफ पिछले साल लाया गया था और शिक्षा मंत्रालय द्वारा 20 अक्टूबर 2022 को लॉन्च किया गया था, जबकि स्कूल शिक्षा के लिए एनसीएफ 23 अगस्त 2023 को जारी किया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं में प्रथम और द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम को लेकर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम सामग्री उपलब्ध कराने के लिए एआईसीटीई ने 12 अनुसूचित भारतीय भाषाओं हिंदी, मराठी, बांग्ला, तमिल, तेलुगू, गुजराती, कन्नड़, पंजाबी, उड़िया, असमिया, उर्दू और मलयालम में तकनीकी पुस्तक लेखन और अनुवाद की शुरुआत की है।

उन्होंने कहा, “दस राज्यों में सात क्षेत्रीय भाषाओं बांग्ला, हिंदी, गुजराती, कन्नड़, मराठी, तमिल और तेलुगू में 29 संस्थानों को एक या अधिक विषयों में इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान करने के लिए पहचाना गया है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ संकल्प के तहत मातृभाषा और भारतीय भाषाओं के परिचय और प्रचार-प्रसार के लिए भाषा संगम कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उन्होंने कहा, “संयोग से औपचारिक उद्घाटन के बाद भारत मंडपम में पहला कार्यक्रम 29 जुलाई 2023 को पीएम मोदी द्वारा अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन था।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आज लगभग 40 मिलियन भारतीय उच्च शिक्षा में हैं, जो अमेरिका और यूरोपीय संघ के संयुक्त आंकड़े से अधिक है और महत्वाकांक्षी एनईपी उस संख्या को दोगुना करने का प्रयास करती है।

उन्होंने कहा, “एनईपी-2020 भारत में छात्रों और युवाओं के लिए नए करियर और उद्यमिता के अवसर खोलने के वादे के साथ स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम को पूरक बनाता है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अनुसंधान एवं विकास प्रयासों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक लेकर आए, जिसे हाल के मानसून सत्र में संसद ने पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ पारित किया।

उन्होंने कहा, “एनआरएफ भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगा और भारत में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और मिशन इनोवेशन को और बढ़ावा देगा। इसकी लगभग 70 प्रतिशत फंडिंग गैर-सरकारी स्रोतों से आएगी। ”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत नई तकनीकों का उपयोग कर रहा है, जिसमें ड्रोन, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक-चेन और अन्य नवीन प्रौद्योगिकियों का बढ़ता उपयोग शामिल है। उन्होंने बताया कि भारत ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) की अपनी वैश्विक रैंकिंग में दुनिया की 130 अर्थव्यवस्थाओं के बीच वर्ष 2015 में 81वें से 2021 में 46वें स्थान पर भारी छलांग लगाई है।

 

उन्होंने कहा, “जीआईआई के मामले में भारत 34 निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर और 10 मध्य और दक्षिणी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है। जीआईआई रैंकिंग में लगातार सुधार विशाल ज्ञान पूंजी, जीवंत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और सार्वजनिक और निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए कुछ उत्कृष्ट कार्यों के कारण है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, पीएम मोदी ने अमृतकाल के अगले 24 वर्षों में भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरने का रास्ता खोल दिया है।

उन्होंने कहा, “गुलामी के बंधन से मुक्त एक पीढ़ी, नवाचारों के लिए उत्सुक और विज्ञान से लेकर खेल तक के क्षेत्रों में गौरव हासिल करने के लिए तैयार, 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार खुद को कुशल बनाने की इच्छुक, कर्तव्य की भावना से भरी एक पीढ़ी।” .

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने उस जिम्मेदारी के बारे में बात की जो एक मजबूत भारत में बढ़ती वैश्विक जिज्ञासा हम पर डालती है। “हमारे युवाओं को योग, आयुर्वेद और प्राचीन कला और साहित्य के गुणों के साथ खुद को फिर से जागृत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छात्रों की वर्तमान पीढ़ी 2047 में भारत की ‘विकसित भारत’ की यात्रा में पथप्रदर्शक बनेगी।”

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