विपक्ष कृषि बिलों को काला क़ानून कह रहे हैं, वे यह नहीं बता रहे हैं कि उसमें काला क्या है- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5फरवरी।
किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसानों सरकार से इन कानूनों को जल्द से जल्द निरस्त करने की मांग कर रहे है तो दूसरी तरफ विपक्ष भी लगातार किसान के मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए नजर आ रहे है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से लाए गए तीनों कृषि कानूनों को विपक्षी दल ‘काला कानून’ बता रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने यह नहीं बताया कि आखिर इन कानूनों में ‘काला’ क्या है?
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हो रही चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसान संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा लगातार इन कानूनों को ‘काले कानून’ की संज्ञा दी जा रही है। हालांकि अभी तक किसी ने यह नहीं बताया कि आखिर इन कानूनों में ‘काला’ क्या है?
मैंने आज राज्यसभा में देखा विपक्ष कृषि बिलों को काला क़ानून कह रहे हैं। वे यह नहीं बता रहे हैं कि उसमें काला क्या है। क़ानून का विरोध कर रहे हैं तो क़ानून के प्रावधान पर चर्चा होनी चाहिए। मैंने सभी दल और किसानों से कहा है कि सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है: केंद्रीय कृषि मंत्री pic.twitter.com/QR3FyYgKMt
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 5, 2021
उन्होंने कहा कि तीन कृषि सुधार कानून इस समय एक ज्वलंत मुद्दा है और और इसे लेकर विपक्षी सदस्यों ने सरकार को कोसने में कोई कंजूसी नहीं की और इन कानूनों को ‘काला कानून’ बताया. उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि किसान यूनियनों से भी दो महीने तक मैं यही पूछता रहा कि कानून में काला क्या है? एक (भी) मुझे बताओ तो? मैं उसको ठीक करने की कोशिश करूंगा, लेकिन मुझे वहां भी मालूम नहीं पड़ा।
कृषि मंत्री ने कहा कि मैंने आज राज्यसभा में देखा विपक्ष कृषि बिलों को काला क़ानून कह रहे हैं. वे यह नहीं बता रहे हैं कि उसमें काला क्या है. क़ानून का विरोध कर रहे हैं तो क़ानून के प्रावधान पर चर्चा होनी चाहिए. मैंने सभी दल और किसानों से कहा है कि सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि राज्यसभा चल रही है. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पूरी हुई है. लोकसभा में गतिरोध अभी बना हुआ है. मुझे लगता है कि प्रतिपक्ष सारी परिस्थिति को समझेगा और लोकसभा में भी चर्चा होगी ऐसी मुझे आशा है।
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