समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 दिसंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में सरकारी मेडिकल कॉलेज, नागपुर के प्लेटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस अवसर पर कहा कि किसी भी समाज के सर्वांगीण विकास के लिये सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली आवश्यक है। अभूतपूर्व कोविड महामारी ने हमें मजबूत स्वास्थ्य सेवा बुनियादी संरचना के महत्व का गहरायी से एहसास कराया।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों की कमी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने में एक बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही एमबीबीएस और पोस्ट-ग्रेजुएट सीटों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने विश्वास जताया कि ये कदम निकट भविष्य में सभी को उचित चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा बुनियादी संरचना के विकास के साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य सेवा आम लोगों की पहुंच में हो। आर्थिक तंगी के कारण गरीब लोग प्राय:चिकित्सा सेवाओं के उपलब्ध होने पर भी उनसे वंचित रह जाते हैं। इसीलिये भारत सरकार दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू कर रही है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े निजी रिकॉर्ड मरीजों के लिये बहुत फायदेमंद होते हैं। चिकित्सक इन रिकॉर्ड के जरिये रोगों का सही निदान भी कर सकते हैं। उन्होंने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खातों (एबीएचए) के माध्यम से स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने की सरकार की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी पहल है जिसमें तकनीक के इस्तेमाल से स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सकता है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने देश में अंग दाताओं की कमी के बारे में कहा कि यह कमी न केवल जरूरतमंदों को लंबे समय तक इंतजार करने के लिये मजबूर करती है, बल्कि अवैध अंग व्यापार को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस कमी का मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी है और लोगों को अंग दान करने के लिए प्रेरित करके इसे हल किया जा सकता है। उन्होंने चिकित्सा जगत से लोगों को अंगदान के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा पेशेवर हमारे देश की संपत्ति हैं। उन पर लोगों को स्वस्थ रखने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में बढ़ते तकनीकी प्रयोगों से प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन आने की संभावना है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य अत्याधुनिक तकनीकें स्वास्थ्य सेवा को नयी दिशा देंगी। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकारी मेडिकल कालेज, नागपुर अपने विद्यार्थियों को भविष्य के लिये तैयार रखे। उन्होंने कहा कि सरकारी मेडिकल कालेज, नागपुर को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये और अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिये एक रोल-मॉडल बनना चाहिये।
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