समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26दिसंबर। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सामने आए पहलवानों की नाराजगी थमने का नाम नहीं ले रही है. बृजभूषण सिंह को पद से हटाने के बाद कुश्ती संघ के नए चुनाव कराए गए थे, जिसमें बृजभूषण के ही करीबी संजय सिंह चुनाव जीतने के बाद धरने पर बैठ चुके पहलवान एक बार फिर नाराज हैं. अब महिला कुश्ती की स्टार पहलवान विनेश फोगाट ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना खुला पत्र लिखकर सर्वोच्च खेल पुरस्कार मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और अर्जुन अवॉर्ड वापस लौटाने की बात कही है. इससे पहले बजरंग पूनिया ने भी अपने अवॉर्ड पीएम को लौटाए थे, जबकि साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान किया था.
विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर प्रधानमंत्री के नाम एक खुला पत्र लिखकर कहा, ‘मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस कर रही हूं. इस हालत में पहुंचाने के लिए ताकतवर का बहुत बहुत धन्यवाद.’
मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस कर रही हूँ।
इस हालत में पहुँचाने के लिए ताकतवर का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 pic.twitter.com/KlhJzDPu9D
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) December 26, 2023
अपने इस खुले पत्र के जरिए विनेश ने एक बार फिर बृजभूषण शरण सिंह पर जमकर निशाना साधा है. बृजभूषण सिंह ने कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद मीडिया में जो बयान दिए हैं और उनकी सभाओं में जो नारे गूंजे हैं उनकी ओर पीएम का ध्यान खींचने की कोशिश की है.
विनेश ने पीएम के लिखे पत्र में लिखा, ‘साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है. देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आप तक यह भी मामला पहुंचा होगा. प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं, यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मुझे याद है 2016 में जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं. आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बार-बार याद आ रहा है. क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं. हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती हैं. मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है. बस यही दुआ करूंगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना जरूर पूरा हो.’
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