आज हम अपने बच्चों को स्वस्थ बनाकर विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर रहे हैं: अर्जुन मुंडा

आयुष और जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय विद्यार्थियों के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संयुक्त पहल की घोषणा की

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,22 फरवरी। केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नई दिल्ली में आयुर्वेदिक के माध्यम से स्वास्थ्य जांच और प्रबंधन की संयुक्त राष्ट्रीय स्तर की परियोजना की घोषणा करते हुए कहा कि भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए हमें प्रत्येक भारतीय को रोग मुक्त बनाना होगा। इस परियोजना से 20,000 से अधिक जनजातीय विद्यार्थियों को लाभ होगा। आयुष मंत्रालय ने अपनी अनुसंधान परिषद सीसीआरएएस के माध्यम से जनजातीय कार्य मंत्रालय और आईसीएमआर-एनआईआरटीएच जबलपुर की संयुक्त पहल से जनजातीय विद्यार्थियों के लिए यह स्वास्थ्य पहल की है। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी उपस्थित थे।

दोनों केंद्रीय मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए संयुक्त पहल की घोषणा की।

आयुष मंत्री ने कहा कि दोनों मंत्रालय जनजातीय आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं का अध्ययन करने तथा आयुर्वेद के माध्यम से कुपोषण, आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया और सिकल सेल रोगों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को पूरा करने में सहयोग करेंगे। आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं पहले से ही प्रचलित और प्रभावी हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का लक्ष्य देश के 14 राज्यों में चिन्हित 55 ईएमआरएस में छठी से 12वीं कक्षा में नामांकित 10-18 वर्ष आयु वर्ग के विद्यार्थियों को कवर करना है।

इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्री ने कहा, “स्वास्थ्य जांच और प्रबंधन पर एक राष्ट्रीय स्तर की परियोजना प्रारंभ करने से हमारे एकलव्य विद्यार्थियों के बीच बीमारियों की प्रधानता और स्वास्थ्य प्रबंधन की पहचान करने में सहायता मिलेगी। इससे आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार बच्चों में स्वस्थ जीवन शैली प्रथाओं को विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे बीमारियों की रोकथाम पर जोर देने के साथ उनके स्वास्थ्य और समग्र कल्याण में सुधार और सुरक्षा की जा सके।” अर्जुन मुंडा ने कहा कि हमारी भावी पीढ़ी को नागरिक जीवन में पारंपरिक औषधियों के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए स्कूलों में एक औषधीय पौधों का बगीचा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि “हम आज अपने बच्चों को स्वस्थ बनाकर विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर रहे हैं।”

परियोजना का लक्ष्य 6वीं से 12वीं कक्षा में नामांकित विद्यार्थियों की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति की जांच करना है। स्क्रीनिंग देश के 14 राज्यों में चयनित 55 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में की जाएगी। एनीमिया, हीमोग्लोबिनोपैथी, कुपोषण और तपेदिक (टीबी) पर विशेष फोकस है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार विद्यार्थियों के बीच स्वस्थ जीवन शैली प्रथाओं को विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही एकीकृत दृष्टिकोण से बीमारियों का प्रबंधन किया जाएगा।

जनजातीय विकास के लिए सहयोग, अभिसरण और तालमेल के क्षेत्रों का पता लगाने के लिए अक्टूबर 2022 में आयुष मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसी के अनुसार सीसीआरएएस ने 20 राज्यों के ईएमआरएस में 72 पोषण वाटिकाएं विकसित कीं। सीसीआरएएस संस्थानों ने झारखंड के सरायकेला में जनजाति महोत्सव के दौरान मेगा स्वास्थ्य शिविरों में भी भाग लिया।

`एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं ताकि वे उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसरों का लाभ उठा सकें और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकें। स्कूल न केवल शैक्षणिक शिक्षा पर बल्कि अच्छे स्वास्थ्य सहित छात्रों के समग्र विकास पर फोकस करते हैं। वर्तमान में देश भर में 401 कार्यात्मक स्कूल हैं। इन स्कूलों का फोकस खेल और कौशल विकास में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं पर है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय की संयुक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल और अनुसंधान एवं विकास पहल की घोषणा के दौरान सर्बानंद सोनोवाल और अर्जुन मुंडा ने ई-बुक का अनावरण किया और अपनी संयुक्त स्वास्थ्य पहलों की विवरणिका जारी की।

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