भारत का संविधान भारत के नागरिकों की रक्षा करता है: अर्जुन राम मेघवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17जुलाई। भारतीय गणतंत्रके 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में, न्याय विभाग (डीओजे) ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित एएमए कन्वेंशन सेंटर (एएमएसीसी) में ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ शीर्षक से दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित किया। उपराष्ट्रपति ने 24 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली में वर्ष भर चलने वाले अभियान, ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ की शुरुआत की थी। दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम इस राष्ट्रीय अभियान का विस्तार है। पहला क्षेत्रीय कार्यक्रम 9 मार्च, 2024 को राजस्थान के बीकानेर में आयोजित किया गया था, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डॉ. डी. वाई. चंद्रचूड़ ने किया था। दूसरे क्षेत्रीय कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति अरुण भंसाली मुख्य अतिथि के रूप में तथा उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में लगभग 800 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें बार एसोसिएशन, न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, दिशा योजना के तहत टेली-लॉ कार्यक्रम के क्षेत्र स्तरीय पदाधिकारी, जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारी, कानून के छात्र और संकाय के प्रतिनिधि शामिल थे।

‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल लॉन्च किया गया, जो ज्ञान के भंडार के रूप में काम करेगा तथा नागरिकों को संविधान और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जानकारी तक आसान पहुँच प्रदान करेगा। इसमें अभियान के गतिविधियों की झलकियाँ भी दिखाई जाएँगी। इसके अतिरिक्त, इसमें एक कार्यक्रम कैलेंडर और समुदाय-आधारित सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से संवैधानिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आपसी संवाद और सहभागिता आधारित उपकरण भी शामिल होंगे।

मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और श्रोताओं का स्वागत करते हुए न्याय विभाग के सचिव ने हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान के विभिन्न घटकों के बारे में बताया, जिसमें सबको न्याय – हर घर न्याय; नव भारत नव संकल्प और विधि जागृति सम्मान शामिल हैं। विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग की पहल पहले से ही सभी के लिए न्याय के कार्यादेश के अनुरूप हैं। अब हमारा संविधान हमारा सम्मान का राष्ट्रव्यापी अभियान इसे और अधिक सहभागी और समावेशी बनाता है।

कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में भारतीय संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1950 में संविधान के लागू होने के बाद से राजनीतिक समानता की गारंटी के बावजूद, आर्थिक और सामाजिक असमानताओं ने हमारे समाज के लिए चुनौतियाँ खड़ी की हैं। अर्जुन राम मेघवाल ने सभी वंचित वर्गों के लिए आर्थिक और सामाजिक न्याय के डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विज़न को साकार करने में नालसा/एसएलएसए/डीएलएसए/टीएलएससी जैसी पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने न्याय बंधु कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से इस विज़न के प्रति न्याय विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जो निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है। अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि उनके कार्यकाल में ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ अभियान के तहत एक राष्ट्रीय कार्यक्रम और दो क्षेत्रीय कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए गए हैं। उन्होंने इस पहल का विस्तार करने की योजना की घोषणा की, जिसके तहत इस वर्ष कोच्चि, श्रीनगर और ईटानगर में तीन अतिरिक्त क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में संवैधानिक जागरूकता को व्यापक बनाना है।

इस कार्यक्रम में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय को वंचित व्यक्तियों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करने के अपने सराहनीय प्रयासों के लिए प्रशंसा मिली। उच्च न्यायालय के निःशुल्क पैनल का प्रतिनिधित्व करने वाले रजिस्ट्रार जनरल राजीव भारती ने कार्यक्रम के तहत प्रभावशाली पहलों के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्रालय के “न्याय बंधु” कार्यक्रम को न्याय तक सार्वभौमिक पहुँच प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह कार्यक्रम देश भर के वकीलों को निःशुल्क सेवाओं हेतु पंजीकरण करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिस पर एंड्रॉइड, आईओएस और उमंग सहित वेब और मोबाइल अनुप्रयोग के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।

राजीव भारती ने बताया कि वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सौ से अधिक वकीलों ने स्वेच्छा से निशुल्क सेवाएं प्रदान करने के लिए पंजीकरण कराया है, जो कानूनी सहायता पहल के माध्यम से जरूरतमंद लोगों की सहायता करने की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने कहा कि यह अभियान संवैधानिक शिक्षा के प्रसार के लिए सामूहिक आह्वान है। उन्होंने न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व को प्रत्येक नागरिक के जीवन में समाहित करने में न्यायिक बिरादरी की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अभियान को स्थानीय स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है और इसमें सामाजिक असमानता और गरीबी को दूर करने की क्षमता है। उन्होंने न्याय विभाग के न्याय बंधु कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह कानूनी क्षेत्र को मानवीय दृष्टिकोण प्रदान करने का एक मूल्यवान प्रयास है।

यूपीएसएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने हमारे लोकतंत्र में भारतीय संविधान की आधारभूत भूमिका पर जोर दिया, जिसमें सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ये अधिकार अक्सर हमारे समाज में कई लोगों के लिए अज्ञात या अस्पष्ट रहते हैं। न्यायमूर्ति गुप्ता ने ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ जैसे कार्यक्रमों के महत्व को रेखांकित किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक भारतीय, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियाँ कुछ भी हों, अपने अधिकारों और सुरक्षा के बारे में पूरी तरह से जागरूक हो। उन्होंने राज्य के सभी विभागों से नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने में अपनी जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया तथा अपने प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर समुदायों में कानूनी जागरूकता पहलों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति गुप्ता ने जोर देकर कहा कि अभियान का विषय उनके प्रयासों का सार प्रस्तुत करता है। उन्होंने संवैधानिक जागरूकता फैलाने के लिए सामूहिक समर्पण का आह्वान किया। उन्होंने नागरिकों को सशक्त बनाने और एक ऐसा समाज बनाने के लक्ष्य पर जोर दिया, जहाँ न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श केवल सैद्धांतिक अवधारणाएँ न हों, बल्कि ठोस वास्तविकताएँ हों।

मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने हमारा संविधान हमारा अभियान प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया, जो अभियान में लोगों की सक्रिय भागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है। उन्होंने प्रयागराज की पृष्ठभूमि में इस आयोजन की प्रासंगिकता को रेखांकित किया, जो त्रिवेणी संगम के रूप में प्रतिष्ठित स्थान है, जहाँ तीन नदियाँ मिलती हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रतीकात्मकता राज्य के तीन अंगों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के सामंजस्यपूर्ण समन्वय का प्रतिनिधित्व करती है।

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