राज्यसभा में बंदरगाहों के निजीकरण पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल का बयान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अगस्त। 6 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने बंदरगाहों के संचालन और निजीकरण के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

12 प्रमुख बंदरगाह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में
भारत में केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में कुल 12 प्रमुख बंदरगाह आते हैं। ये बंदरगाह निम्नलिखित हैं:

चेन्नई
कोचीन
दीनदयाल (कांडला)
जवाहरलाल नेहरू (न्हावा शेवा)
कोलकाता
मोरमुगाओ
मुंबई
न्यू मैंगलोर
पारादीप
वी.ओ. चिदंबरनार (तूतीकोरिन)
विशाखापत्तनम
कामराजर पोर्ट लिमिटेड

इन बंदरगाहों में से किसी भी प्रमुख बंदरगाह का निजीकरण नहीं किया गया है। भूमि और तट का स्वामित्व सरकार के पास ही है, जिससे ये बंदरगाह सरकारी नियंत्रण में रहते हैं।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल
हालांकि, इन बंदरगाहों में विशिष्ट परियोजनाओं, बर्थ या टर्मिनलों के लिए रियायत समझौतों के जरिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) की अनुमति है। ये भागीदारी एक खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के जरिए हासिल की जाती है, जहां रियायतकर्ता एक निश्चित अवधि के लिए राजस्व हिस्सेदारी या रॉयल्टी का भुगतान करता है। रियायत अवधि समाप्त होने के बाद बंदरगाह की संपत्ति बंदरगाह प्राधिकरण को वापस कर दी जाती है। वर्तमान में इन प्रमुख बंदरगाहों में 277 में से 89 बर्थ PPP मॉडल के तहत संचालित हैं।

217 गैर-प्रमुख बंदरगाहों का राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधन
इसके अतिरिक्त, 217 गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं, जिनका प्रबंधन और नियंत्रण संबंधित राज्य समुद्री बोर्ड या राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। इन बंदरगाहों में शामिल हैं:

गुजरात: 48
महाराष्ट्र: 48
गोवा: 5
दमन और दीव: 2
कर्नाटक: 13
केरल: 17
लक्षद्वीप द्वीप समूह: 10
तमिलनाडु: 17
पुडुचेरी: 3
आंध्र प्रदेश: 15
ओडिशा: 14
पश्चिम बंगाल: 1
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: 24

निजीकरण पर सरकार की स्थिति
श्री सोनोवाल ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी प्रमुख बंदरगाह का निजीकरण नहीं किया गया है। सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के जरिए विशिष्ट परियोजनाओं में निजी भागीदारी की अनुमति देती है। प्रमुख बंदरगाहों पर 89 बर्थ का संचालन वर्तमान में इस मॉडल के तहत किया जाता है, जिसमें भूमि और तट का स्वामित्व सरकार के पास रहता है। गैर-प्रमुख बंदरगाहों का प्रबंधन राज्य समुद्री बोर्डों और राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है।

इस प्रकार, भारत में बंदरगाहों का प्रबंधन और नियंत्रण एक संतुलित तरीके से किया जा रहा है, जहां सरकारी स्वामित्व और निजी भागीदारी दोनों का समावेश है, जिससे देश के बंदरगाहों की दक्षता और विकास सुनिश्चित किया जा सके।

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