सरकार ने बजट वृद्धि और नई पहलों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8अगस्त। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि सरकार ने अनुसंधान एवं विकास सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बजट आवंटन बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक विभागों के लिए योजना आवंटन में क्रमिक वृद्धि के कई कदम उठाए हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख पहल:
बढ़ा हुआ बजट आवंटन:
वैज्ञानिक विभागों के लिए योजना आवंटन में क्रमिक वृद्धि से विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) क्षेत्र में निरंतर वृद्धि और विकास सुनिश्चित किया जा रहा है।
उत्कृष्टता केंद्र:
शैक्षणिक और राष्ट्रीय संस्थानों के भीतर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उभरते और अग्रणी क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्रों और सुविधाओं की स्थापना की गई है।
वृहत (मेगा) सुविधाएं भागीदारी:
वृहत (मेगा) वैज्ञानिक सुविधाओं के विकास और उपयोग में सक्रिय भागीदारी की जा रही है।
एक्स्ट्रामुरल रिसर्च फंडिंग:
उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक्स्ट्रामुरल रिसर्च फंडिंग के माध्यम से संभावित वैज्ञानिकों को पर्याप्त अनुदान दिया जा रहा है।
ध्यान केंद्रित करने के नए क्षेत्र:
स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, स्मार्ट ग्रिड, मेथनॉल, अलवणीकरण, जीनोम इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वित्त पोषण बढ़ाया गया है।
राष्ट्रीय मिशन:
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) और अंत:विषयी साइबर भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स – एनएम– आईसीपीएस) जैसे राष्ट्रीय मिशनों की शुरुआत की गई है।
नवाचार और उद्यमिता:
एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए नवाचार, उद्यमिता और स्टार्ट-अप अनुदान को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी:
संयुक्त विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन:
उद्योग के सहयोग से अनुसंधान एवं विकास के लिए बजट आवंटन बढ़ाना, देश भर में अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा देना।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत, प्रत्येक कंपनी को 500 करोड़ रुपए या उससे अधिक की सकल पूंजी या 1000 करोड़ रुपये या अधिक के कारोबार अथवा तत्काल पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान 5 करोड़ रुपए या अधिक के लाभ की स्थिति में ऊष्मायन (इनक्यूबेटर) अथवा अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में योगदान सहित विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या केंद्र सरकार या राज्य सरकार की किसी एजेंसी द्वारा वित्त पोषित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में परियोजनाओं में पिछले तीन वित्तीय वर्षों में किए गए कंपनी के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम दो प्रतिशत खर्च करना होगा। उद्योगों के लिए अपने लाभ का एक अंश अनुसंधान एवं विकास के लिए आवंटित करने की अनिवार्य नीति का कोई अन्य प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत स्वायत्त संस्थानों (ऑटोनोमस इंस्टिट्यूशंस – एआई) को अपने संबंधित शासी परिषद (गवर्निंग काउंसिल) के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को शुरू करने के लिए स्वायत्तता प्रदान की गई है।
खरीद प्रक्रियाओं के लिए सामान्य वित्तीय नियम 201 और विशेष रूप से वैज्ञानिक मंत्रालयों में छूट दी गई है। अनुसंधान और उपकरणों की खरीद के लिए स्वायत्त संस्थानों (ऑटोनोमस इंस्टिट्यूशंस – एआई) को वित्तीय शक्तियां प्रदत्त की गई हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में वैज्ञानिक स्वभाव और अनुसंधान-उन्मुख सोच को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम हैं। हर वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी परिषदों) के माध्यम से व्याख्यान, सेमिनार और ओपन हाउस आयोजित कर रहा है ताकि समृद्ध वैज्ञानिक इकोसिस्टम का प्रदर्शन किया जा सके और छात्रों को अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा सके। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) का स्नातकोत्तर कार्यक्रम उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध प्रबंध/थीसिस लेखन के लिए अनुसंधान सहायता अनुदान प्रदान करता है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने स्कूली बच्चों के लिए राष्ट्रीय वैज्ञानिक सुविधाएं खोलने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के सहयोग से “जिज्ञासा” नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिससे स्कूली बच्चों द्वारा युवा मन में ‘वैज्ञानिक सोच’ पैदा करने के लिए सीएसआईआर वैज्ञानिक ज्ञान आधार और सुविधा का उपयोग किया जा सके। मंत्रालय देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों को डॉक्टरेट और पोस्टडॉक्टरल अनुसंधान फेलोशिप प्रदान करता रहा है।
इस प्रकार, सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो देश के समग्र वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
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