किसी शैक्षणिक संस्थान की गुणवत्ता, प्रदर्शन और सामर्थ्य को जानना छात्रों और अभिभावकों का अधिकार है – धर्मेंद्र प्रधान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13अगस्त। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को इंडिया रैंकिंग 2024 जारी की। इस रैंकिंग में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) का उपयोग किया गया है, जिसे शिक्षा मंत्रालय ने 2015 में विकसित किया था। इस अवसर पर उच्च शिक्षा सचिव श्री के. संजय मूर्ति और अन्य प्रमुख शिक्षा अधिकारी भी उपस्थित थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 के तहत रैंकिंग, रेटिंग और मान्यता महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं, और एनआईआरएफ रैंकिंग इन सिफारिशों को पूरी तरह से प्रतिबिंबित करती है। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों को बधाई दी जिन्होंने विभिन्न मापदंडों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए इंडिया रैंकिंग 2024 में उच्च स्थान हासिल किया है।
प्रधान ने यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता और प्रदर्शन के बारे में जानकारी प्राप्त करना छात्रों और अभिभावकों का अधिकार है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी 58,000 उच्च शिक्षा संस्थानों को रैंकिंग और रेटिंग ढांचे के तहत आना चाहिए। उन्होंने कौशल और रोजगार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि शिक्षा के अमूर्त पहलुओं को रैंकिंग ढांचे में शामिल करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
इंडिया रैंकिंग 2024 में कई नए बदलाव किए गए हैं, जिनमें राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय, मुक्त विश्वविद्यालय, और कौशल विश्वविद्यालय जैसी नई श्रेणियों की शुरुआत शामिल है। इसके साथ ही, “नवाचार” रैंकिंग का भी एकीकरण किया गया है।
इस वर्ष रैंकिंग में 6,517 संस्थानों ने भाग लिया, जो 2016 में 2,426 संस्थानों से बढ़कर 2024 में 6,517 हो गई है। शीर्ष पर आईआईटी मद्रास, आईआईएम अहमदाबाद और एम्स दिल्ली जैसे प्रमुख संस्थान बने रहे।
श्री प्रधान ने भारत के सभी शैक्षणिक संस्थानों से रैंकिंग ढांचे के तहत महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने और उच्च रैंकिंग के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शैक्षिक उत्कृष्टता के माध्यम से एक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करना हमारा साझा कर्तव्य है।
Comments are closed.