समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 मार्च। भारत सरकार ने जल उपचार में उपयोग होने वाले रसायन ‘ट्राईक्लोरो आइसोस्यान्यूरिक एसिड’ (Trichloro Isocyanuric Acid) पर चीन और जापान से आयात होने वाली खेपों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। यह शुल्क पांच साल के लिए लागू किया जाएगा और इसकी सीमा प्रति टन 986 अमेरिकी डॉलर तक हो सकती है। यह कदम घरेलू उद्योग को सस्ते आयात से होने वाली हानि से बचाने के लिए उठाया गया है।
यह निर्णय ‘डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज’ (DGTR) द्वारा दी गई सिफारिशों के आधार पर लिया गया है। DGTR, वाणिज्य मंत्रालय का एक जांच शाखा है, जिसने यह पाया कि चीन और जापान से भारत में आयातित इस रसायन की वजह से घरेलू उद्योग को वित्तीय नुकसान हो रहा है। DGTR ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन देशों से आयातित रसायन सस्ती दरों पर उपलब्ध हो रहा है, जिससे भारतीय उत्पादकों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
भारत सरकार ने इस शुल्क के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि घरेलू उद्योग को अनुचित प्रतिस्पर्धा का सामना न करना पड़े। एंटी-डंपिंग शुल्क की कार्यवाही का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी देश की कंपनियाँ अपनी वस्तुओं को न्यूनतम लागत से नीचे बेचकर दूसरे देशों के उद्योगों को नुकसान न पहुँचाएं। यह कदम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, “यह एंटी-डंपिंग शुल्क अगले पांच वर्षों तक लागू रहेगा, जब तक कि इसे रद्द, संशोधित या पहले से बदल नहीं दिया जाता।”
जहां DGTR इस मामले की जांच करता है और शुल्क लगाने की सिफारिश करता है, वहीं अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा लिया जाता है। वित्त मंत्रालय ने तीन महीने के भीतर इस सिफारिश पर निर्णय लिया। इसके बाद, एंटी-डंपिंग शुल्क की प्रक्रिया लागू होती है।
एंटी-डंपिंग शुल्क एक प्रकार का शुल्क है जो तब लागू किया जाता है जब किसी देश का उत्पाद अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम कीमत पर बेचा जाता है, जिससे उस देश के उत्पादकों को नुकसान होता है। यह शुल्क उस स्थिति को सुधारने का उपाय है ताकि घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिल सके और वे एक निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में भाग ले सकें।
यह कदम, हालांकि, किसी भी प्रकार के आयात पर प्रतिबंध नहीं है और न ही यह उत्पादों की कीमतों में अनावश्यक वृद्धि का कारण बनता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि घरेलू उद्योग को अनुकूल वातावरण मिले और वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता बनी रहे
भारत के लिए चीन और जापान दोनों महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार हैं। हालांकि इन देशों से सस्ते आयातों से घरेलू उद्योगों को नुकसान हो सकता है, लेकिन इन देशों के साथ व्यापार संबंधों को बेहतर बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। एंटी-डंपिंग शुल्क का उद्देश्य भारत के घरेलू उद्योग की रक्षा करना है, लेकिन यह व्यापारिक संबंधों में असंतुलन पैदा करने के लिए नहीं है।
डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के तहत, एंटी-डंपिंग शुल्क लगाना एक कानूनी प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी देश का घरेलू उद्योग सस्ते आयात से हानि न उठाए। यह कदम कई देशों द्वारा उठाए जाते हैं ताकि घरेलू उत्पादकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक समान अवसर मिल सके। एंटी-डंपिंग शुल्क के लिए हर देश के पास एक मानक प्रक्रिया है, जो उसे इस तरह के शुल्क लगाने का अधिकार देती है, यदि उसे लगता है कि घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है।
भारत सरकार द्वारा चीन और जापान से आयात होने वाले ‘ट्राईक्लोरो आइसोस्यान्यूरिक एसिड’ पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाए जाने का निर्णय घरेलू उद्योग को संरक्षण देने और वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि भारत के रसायन उद्योग को सस्ते और अवैध आयात से होने वाली हानि से बचाया जा सके।
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