राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के छठे बैच को उपराष्ट्रपति का संदेश: आत्मनिर्भरता और राष्ट्रवाद का आह्वान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च।
उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम (RSIP-I) के छठे बैच के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भरता, लोकतंत्र और राष्ट्रवाद पर जोर दिया। उन्होंने इंटर्न्स को प्रेरित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम पारंपरिक शिक्षा से हटकर आत्म-शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उपराष्ट्रपति ने भारत को “लोकतंत्र की जननी” बताते हुए कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय लोकतंत्र है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 9 और 9A का जिक्र करते हुए पंचायत से लेकर संसद तक चुनावों के संवैधानिक प्रावधानों को रेखांकित किया।

उन्होंने इंटर्न्स से कहा, “भारत का लोकतंत्र केवल एक प्रणाली नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति है। हमें अपने संवैधानिक ढांचे को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने आरक्षण नीति का जिक्र करते हुए मंडल आयोग की रिपोर्ट और इंदिरा साहनी केस पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि कैसे आर्थिक आधार पर आरक्षण को पहले असंवैधानिक माना गया था, लेकिन बाद में इसे संविधान संशोधन के जरिए लागू किया गया।

उन्होंने न्यायिक समीक्षा की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि संविधान में संशोधन केवल संसद कर सकती है, जबकि संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा का अधिकार न्यायपालिका के पास होता है।

इंटर्न्स को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति पर जोर दिया और कहा कि भारत अब संभावनाओं वाला देश नहीं, बल्कि प्रगति के पथ पर अग्रसर एक वैश्विक शक्ति बन चुका है।

“भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। युवा पीढ़ी के लिए स्टार्टअप्स, ब्लू इकोनॉमी और अंतरिक्ष क्षेत्र में अनगिनत अवसर हैं। हमें सिर्फ सरकारी और निजी नौकरियों से आगे सोचना होगा,” उन्होंने कहा।

उपराष्ट्रपति ने भारतीय इतिहास के गौरवशाली पक्षों को उजागर करते हुए कहा कि भारत को अपने सांस्कृतिक मूल्यों को पुनः स्थापित करना होगा। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के विनाश और विदेशी शासन के दौरान हुए नुकसान को याद करते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वे भारत की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को आत्मसात करें।

“हमारी सभ्यता हजारों वर्षों पुरानी है, हमें अपने नायकों को पहचानना चाहिए और आक्रमणकारियों को महिमामंडित करने से बचना चाहिए,” उन्होंने कहा।

उपराष्ट्रपति ने युवाओं को संवाद की शक्ति का महत्व समझाते हुए कहा कि लोकतंत्र में स्वस्थ चर्चा आवश्यक है। उन्होंने जोर दिया कि हमें असहमति को दबाने के बजाय संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।

“लोकतंत्र में केवल बोलने का ही नहीं, सुनने का भी महत्व है। हमें अपनी बात रखने के साथ-साथ दूसरों की राय को भी समझना चाहिए,” उन्होंने कहा।

उन्होंने इंटर्न्स को संविधान से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में नहीं। इसी तरह, एक विधायक राष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान करता है, लेकिन राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी को वोट दिखाना पड़ता है।

“ये प्रश्न हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमारा संविधान कैसे विकसित हुआ है और हमें इसे और अधिक समझने की जरूरत है,” उन्होंने कहा।

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से आग्रह किया कि वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है और इसके लिए युवाओं को आगे आकर जिम्मेदारी लेनी होगी।

“आप केवल भविष्य के नेता नहीं, बल्कि वर्तमान के भी निर्णयकर्ता हैं। आत्मनिर्भरता, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र की रक्षा ही आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए,” उन्होंने कहा।

इंटर्नशिप के समापन पर उपराष्ट्रपति निवास में एक विशेष संवाद सत्र आयोजित किया जाएगा, जहां इंटर्न्स अपने विचार साझा कर सकेंगे।

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