एस पी मित्तल
जयपुर .10 अप्रैल
8 अप्रैल को राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अपने सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह के संसदीय क्षेत्र झालावाड़ के दौरे पर रहीं। इस दौरान जब रायपुर में लोगों ने राजे को पेयजल की समस्या से अवगत कराया तो उन्हें गुस्सा आ गया। राजे ने कहा कि जनता त्रस्त है और सरकार के अधिकारी चैन की नींद सो रहे है। राजे ने जलदाय विभाग के इंजीनियरों को भी फटकार लगाई। अपने गुस्से का इजहार वसुंधरा राजे ने सोशल मीडिया पर भी किया। वसुंधरा की ज्यादा नाराजगी जल जीवन मिशन में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत राशि का उपयोग नहीं होने पर था। नल से जल योजना के तहत को कार्य मार्च 2024 में हो जाना चाहिए था, वह मार्च 2025 तक 60 प्रतिशत ही हुआ। राजे की नाराजगी पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और राजस्थान के जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने भी संबंधित इंजीनियरों से रिपोर्ट तलब की है। सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे का राजस्थान की राजनीति में जबरदस्त दबदबा रहा। मुख्यमंत्री रहते हुए बड़े बड़े आईएएस राजे के सामने कमर झुकाकर खड़े रहते थे। मंत्रियों को भी मिलने के कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व भी राजे को सलाह देने से डरता था। राजे के सख्त मिजाज के कारण ही आसपास जमा चौकड़ी ने राजस्थान भर में आतंक मचा रखा था। किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि राजे के सामने ऊंची आवाज में बोल सके। राजे की जुबान से निकला शब्द ही सरकार का कानून आदेश होता था, लेकिन आज उन्हीं वसुंधरा राजे को जलदाय विभाग के जूनियर इंजीनियर के रवैये से शिकायत है। राजे ने जिस तरह गुस्सा दिखाया उससे साफ जाहिर है कि अब एक जूनियर इंजीनियर भी उनकी परवाह नहीं कर रहा है। यह तब है कि जब प्रदेश में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। पूर्व सीएम राजे के गुस्से से उन राजनेताओं को सबक लेना चाहिए जो सत्ता में होने पर घमंडी हो जाते हैं। मौजूदा भजन सरकार में भी ऐसे कई नेता है जो मात्र एक वर्ष बाद ही अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से घमंड पूर्ण व्यवहार करते हैं। राजस्थान में पिछले तीस वर्षों से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बन रही है? इसलिए भाजपा के नेताओं को ज्यादा घमंड में नहीं रहना चाहिए। सत्ता से हटने के बाद कैसी स्थिति होती है, इसे पूर्व सीएम राजे के गुस्से से समझा जा सकता है।
पेयजल समस्या का असल जिम्मेदार कौन:
यह अच्छी बात है कि वसुंधरा राजे ने झालावाड़ की पेयजल समस्या पर नाराजगी जताई है। राजे खुद भी झालावाड़ से भाजपा की विधायक हैं, लेकिन सवाल उठता है कि झालावाड़ की पेयजल समस्या के लिए असल जिम्मेदार कौन है? ऐसा तो नहीं कि भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के सवा साल के अंतराल में ही झालावाड़ में पेयजल की समस्या हुई। गत पांच बार से झालावाड़ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह कर रहे है। इससे पहले राजे स्वयं भी झालावाड़ से सांसद रही है। पिछले 30 वर्षों से वसुंधरा राजे ही झालावाड़ से भाजपा की विधायक है। राजे दो बार मुख्यमंत्री भी रह चुकी है। घर में इतनी सत्ता होने के बाद भी झालावाड़ के लोगों को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो सबसे पहले वसुंधरा राजे को ही जवाब देना चाहए। 2013 से 2018 के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में तो केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी। यानी एक इंजन का ड्राइवर होने के बाद भी वसुंधरा राजे अपने झालावाड़ की पेयजल की समस्या को स्थायी समाधान नहीं करवा पाई।
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