आईआईएएस शिमला में प्रो. एम. एम. गोयल का व्याख्यान: नीडोनॉमिक्स की शिक्षा से स्थिरता और लचीलापन सुनिश्चित करने पर बल
आईआईएएस शिमला में प्रो. एम. एम. गोयल का व्याख्यान: नीडोनॉमिक्स की शिक्षा से स्थिरता और लचीलापन सुनिश्चित करने पर बल
समग्र समाचार सेवा,
शिमला, 12 जून: “स्थिरता सुनिश्चित करने और वैश्विक पर्यावरण को बचाने के लिए हमें नीडोनॉमिक माइंडसेट के माध्यम से अपनी भावनाओं को ठीक करना होगा,” यह विचार प्रो. मदन मोहन गोयल ने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला में व्यक्त किए, जहाँ वे “बदलते विश्व में स्थिरता और लचीलेपन का पथ: नीडोनॉमिक्स की नीडो-एजुकेशन” विषय पर चल रही श्रृंखला का तीसरा व्याख्यान दे रहे थे।इस सत्र की अध्यक्षता आईआईएएस के नेशनल फेलो प्रो. सचिदानंद मोहंती ने की, जिन्होंने प्रो. गोयल का परिचय एक विशिष्ट श्रोतृमंडल से कराया, जिसमें सचिव श्री एम.सी. नेगी, एआरओ श्री प्रेम चंद, श्री हेमराज, नेशनल फेलोज, टैगोर फेलोज, अतिथि फेलोज, आईयूसी एसोसिएट्स और स्कॉलर्स-इन-रेज़िडेंस शामिल थे। यह बौद्धिक रूप से समृद्ध सत्र आईआईएएस के जीवंत शैक्षणिक परिवेश का प्रतीक रहा।
प्रो. गोयल, जो तीन विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं, नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक हैं, जो अर्थशास्त्र को लोभ नहीं बल्कि आवश्यकताओं पर आधारित करने की वकालत करता है।
अपने व्याख्यान में उन्होंने पारंपरिक अर्थशास्त्र और शिक्षा प्रणालियों की तीव्र आलोचना की, जो आज की बढ़ती पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को संबोधित करने में विफल रही हैं।
उन्होंने कहा, “एक ऐसे युग में जो तीव्र पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों से चिह्नित है, नीडोनॉमिक्स जिम्मेदार और सचेत आर्थिक व्यवहार की वकालत करते हुए एक स्थायी विकल्प के रूप में उभरता है। यह आर्थिक गतिविधियों को आवश्यकताओं और पारिस्थितिकीय स्थिरता के साथ संरेखित करने का आह्वान करता है।”
शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रो. गोयल ने शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में नीडोनॉमिक्स को एकीकृत करने की वकालत की ताकि सोच-समझकर खपत (नीडो-कंजम्पशन), नीडो-प्रोडक्शन, नीडो-डिस्ट्रिब्यूशन, नीडो-ट्रेड और नीडो-एक्सपोर्ट को प्रोत्साहित किया जा सके।
उन्होंने सभी आर्थिक एजेंटों — उपभोक्ताओं, उत्पादकों, व्यापारियों और वितरकों — में ज़िम्मेदारी (Responsibility), उत्तरदायित्व (Accountability) और नैतिकता (Morality) यानी RAM के मूल्यों को आत्मसात करने पर बल दिया।
प्रो. गोयल ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक आचरण में स्ट्रीट स्मार्ट (साधारण , नैतिक, क्रियाशील , उत्तरदायी , और पारदर्शी) बनें एवं गीता व अनुगीता से आध्यात्मिक प्रेरणा लें।उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग से उत्पन्न “बंदर जैसे मन” को “आध्यात्मिक बुद्धि” से प्रेरित “सन्यासी जैसे मन” में बदलना आज की आवश्यकता है।
प्रो. गोयल ने स्पष्ट किया, “नीडोनॉमिक्स की शिक्षा का अर्थ है अपने मन को प्रतिदिन सोच-समझकर उपभोग करने की सशक्त करने वाली बुद्धि से भरना। कोई भी खरीदारी करने से पहले हमें ठहरकर स्वयं से पूछना चाहिए — ‘क्या पृथ्वी इसकी कीमत चुका सकती है, और क्या यह वास्तव में आवश्यक है?’”
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