गुजरात विमान हादसा: जहां सब कुछ खत्म हो गया, वहीं ‘विश्वास’ बचा – इकलौते जीवित यात्री की चमत्कारी कहानी
समग्र समाचार सेवा,
अहमदाबाद, 13 जून: गुजरात में हुए भीषण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, जहां दर्जनों जिंदगियाँ चंद सेकंड में खत्म हो गईं। लेकिन इस हादसे में एक ऐसी कहानी सामने आई जिसने सबको आश्चर्यचकित कर दिया—39 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश, इस भयावह दुर्घटना में जीवित बचने वाले इकलौते यात्री हैं।
ब्रिटिश-भारतीय नागरिक की चमत्कारी बचाव गाथा
विश्वास कुमार रमेश, जो पिछले 20 वर्षों से लंदन में रह रहे हैं, भारत आए थे अपने परिवार से मिलने। हादसे के वक्त वे अपने भाई अजय कुमार रमेश (45) के साथ यात्रा कर रहे थे और दीव घूमने की योजना बनाई थी। विश्वास सीट नंबर 11A पर बैठे थे।
अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने पुष्टि की कि सीट 11A पर बैठे एकमात्र पुरुष यात्री जीवित मिले हैं। राज्य सरकार और गृह मंत्री अमित शाह ने भी अस्पताल में जाकर इस बात की पुष्टि की कि विश्वास हादसे में चमत्कारिक रूप से बच गए हैं।
विश्वास ने खुद सुनाई हादसे की कहानी
हादसे के कुछ घंटे बाद, अस्पताल में भर्ती विश्वास ने मीडिया और मेडिकल टीम को हादसे की दिल दहला देने वाली कहानी सुनाई। उन्होंने बताया:
“टेक-ऑफ के लगभग 30 सेकंड बाद जोरदार आवाज हुई और फिर सब कुछ हिल गया। अगली बार जब मुझे होश आया, तो चारों ओर लाशें थीं। मैं घबरा गया था, लेकिन किसी तरह खुद को खड़ा किया और बाहर निकलकर भागा।”
डॉक्टरों के अनुसार, विश्वास हादसे के समय विमान से बाहर गिर गए थे और विमान के मलबे के पास से खुद चलकर एम्बुलेंस तक पहुंचे।
डॉ. धवल गमेती ने बताया कि विश्वास को कई जगह चोटें आई हैं, लेकिन उनकी हालत स्थिर है और अब जान को खतरा नहीं है।
भाई लापता, परिवार में चिंता
इस हादसे में विश्वास के भाई अजय कुमार रमेश भी विमान में मौजूद थे, लेकिन वे अब तक लापता हैं। विश्वास ने कहा:
“मैं अपने भाई को ढूंढ़ नहीं पा रहा हूं। किसी यात्री को पहचान नहीं पा रहा। मुझे नहीं पता कि मैं कैसे बच गया।”
हादसे के कुछ ही मिनटों बाद विश्वास ने वीडियो कॉल कर अपने पिता को घटना की जानकारी दी। उन्होंने कहा:
“प्लेन क्रैश हो गया है। मैं अकेला हूं। मुझे नहीं पता मेरा भाई कहां है।”
हादसे के बाद किया रिश्तेदारों को कॉल
ब्रिटेन में रह रहे उनके रिश्तेदारों से भी संपर्क हुआ।
लीसेस्टर में रहने वाले कज़िन अजय वलगी ने बताया कि विश्वास ने बस यह कहा, “मैं ठीक हूं।”
स्काई न्यूज से बातचीत में उनके भाई नयन कुमार रमेश ने कहा, “हमें विश्वास का कॉल आया था और उन्होंने बताया कि हादसे में कुछ समझ नहीं आया, लेकिन वे किसी तरह बच गए हैं।”
एक सवाल: चमत्कार या संयोग?
इस भयानक हादसे में जहां पूरा विमान नष्ट हो गया, उसमें से केवल एक व्यक्ति का बच जाना निश्चित ही चमत्कार जैसा प्रतीत होता है। विश्वास की जीवित बचने की कहानी, उनके साहस और समय की महत्ता को दर्शाती है।
इस विमान हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया, लेकिन विश्वास की चमत्कारी जीवन रक्षा इस त्रासदी के बीच एक आशा की किरण है। अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं — अजय कुमार का क्या हुआ? दुर्घटना के कारणों की जांच जारी है।
लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित किया कि जीवन की अनिश्चितता के बीच, कभी-कभी केवल ‘विश्वास’ ही बचा रहता है।
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