विजय रूपाणी की हुई DNA से पहचान, अहमदाबाद विमान हादसे में जान गंवाने वालों में थे शामिल

समग्र समाचार सेवा
अहमदाबाद, 15 जून: अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में जान गंवाने वालों में अब गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की पहचान DNA जांच के माध्यम से पुष्टि हो चुकी है। इस बात की आधिकारिक पुष्टि गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने की है।
रविवार शाम को रूपाणी का पार्थिव शरीर उनके परिवार को सौंपा जाएगा।

241 मृतकों में शामिल थे विजय रूपाणी

यह हादसा उस वक्त हुआ जब एयर इंडिया की फ्लाइट लंदन के लिए उड़ान भर रही थी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान क्रैश हो गया।
विमान में कुल 242 यात्री सवार थे, जिनमें से 241 की मौत हो गई, जबकि केवल एक यात्री रमेश विश्वास कुमार इस हादसे में चमत्कारिक रूप से बच पाए।

पूर्व मुख्यमंत्री रूपाणी भी उन्हीं यात्रियों में शामिल थे, जिनकी पहचान शुरुआती चरण में नहीं हो पाई थी, और DNA जांच का सहारा लिया गया। अब पुष्टि के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

अस्पताल प्रशासन ने तेजी से संभाला मोर्चा

सिविल अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि हादसे के तुरंत बाद अस्पताल में आपात स्थिति लागू कर दी गई थी।
करीब 250 से ज्यादा डॉक्टर, नर्सें, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वयंसेवक तुरंत जुट गए। उन्होंने बताया कि:

“हमारे प्रयासों से कई घायलों की जान बच पाई। डीएनए जांच की प्रक्रिया भी फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से युद्धस्तर पर चल रही है।”

राज्य सरकार का आश्वासन: हर परिवार को पूरी मदद

गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि राज्य सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है और सभी को हरसंभव सहायता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि

“यह केवल एक हादसा नहीं, पूरे गुजरात और देश के लिए गहरा व्यक्तिगत नुकसान है।”

DNA से पहचान की प्रक्रिया अभी जारी

दुर्घटना में मारे गए अधिकतर यात्रियों की पहचान डीएनए जांच से की जा रही है। इस प्रक्रिया में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और राज्य पुलिस की विशेष टीम लगातार कार्यरत हैं। अब तक कई शवों की पहचान हो चुकी है और उन्हें परिजनों को सौंपा गया है।

एक युग का दुखद अंत

विजय रूपाणी का जाना गुजरात के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास के लिए एक गहरा आघात है। उनके कार्यकाल और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
यह हादसा न केवल एक तकनीकी विफलता का प्रतीक है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की गहराई से समीक्षा की आवश्यकता का भी संकेत देता है।

पूरे देश की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि जांच में क्या खुलासे होते हैं और ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

 

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