कनाडा में प्रधानमंत्री मोदी और पीएम मार्क कार्नी की पहली मुलाक़ात, उच्चायुक्तों की बहाली पर बनी सहमति
समग्र समाचार सेवा
कैनेनास्किस, कनाडा, 18 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग दस वर्षों बाद कनाडा पहुंचे हैं। पिछली बार वह वर्ष 2015 में कनाडा गए थे। इस बार उनकी यात्रा का कारण था अल्बर्टा प्रांत के कैनेनास्किस में आयोजित हो रहा जी-7 शिखर सम्मेलन। यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत और कनाडा के रिश्तों में पिछले एक साल से लगातार खटास बनी हुई थी।
मंगलवार को जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी की कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से पहली बार व्यक्तिगत मुलाक़ात हुई। कार्नी हाल ही में हुए आम चुनावों में जीत के बाद देश के प्रधानमंत्री बने हैं। इस महत्वपूर्ण बातचीत की जानकारी खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया के जरिए साझा की। उन्होंने कहा कि वह और पीएम कार्नी भारत-कनाडा रिश्तों को गति देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
यह मुलाकात विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि जून 2023 में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गहरा तनाव आ गया था। उस दौरान स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को देश से बाहर कर दिया था। भारत ने अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को कनाडा से वापस बुला लिया था और कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के बाद पीएम कार्नी ने एक आधिकारिक बयान जारी किया जिसमें बताया गया कि दोनों नेताओं ने उच्चायुक्तों की बहाली पर सहमति जताई है। बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने कानून के शासन, संप्रभुता और आपसी सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित संबंधों को पुनर्स्थापित करने की इच्छा प्रकट की है और नागरिकों व व्यवसायों के लिए सामान्य सेवाओं की बहाली हेतु नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर सहमति बनी है।
At #G7Kananaskis, Prime Minister Mark Carney met with the Prime Minister of India, Narendra Modi. Read a summary of their discussion: https://t.co/WOCpr7jM6w
— Prime Minister of Canada (@CanadianPM) June 18, 2025
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी इस वार्ता को “संतुलित और सोच-समझकर उठाया गया कदम” बताया। उन्होंने कहा कि इस रिश्ते में स्थिरता लाने के लिए उच्चायुक्तों की शीघ्र बहाली को पहला कदम माना जा रहा है और अन्य कूटनीतिक प्रयास भी समय के अनुसार किए जाएंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि वरिष्ठ मंत्रिस्तरीय स्तर से लेकर कार्य-स्तरीय स्तर तक संवाद की बहाली की जाएगी ताकि आपसी विश्वास को फिर से स्थापित किया जा सके।
बीते महीने ही भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी जिसमें आर्थिक साझेदारी और साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई थी।
इस मुलाक़ात के बाद जब पत्रकारों ने प्रधानमंत्री कार्नी से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने सीधा उत्तर देने से परहेज़ किया। उन्होंने केवल इतना कहा कि दोनों देशों के बीच इस विषय पर कानून प्रवर्तन स्तर पर संवाद जारी है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में प्रत्यक्ष सहयोग किया जा रहा है। उन्होंने आगे टिप्पणी से बचते हुए कहा कि यह मामला न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है, और इस पर बोलते समय उन्हें सावधानी बरतनी होगी।
यह वही मुद्दा है जिसे लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कनाडाई संसद में भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि कनाडा के पास हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता से जुड़े “ठोस सबूत” हैं, जिसे भारत ने सिरे से नकारते हुए सार्वजनिक सबूतों की मांग की थी।
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