भारत-कनाडा रिश्तों में नया मोड़: खालिस्तानी खतरे को लेकर कनाडा की ‘यू-टर्न’ नीति

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 जून: सितंबर 2023 में उस वक्त भारत-कनाडा रिश्तों में बड़ी खटास आ गई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत पर सीधा आरोप लगा दिया। यह आरोप कनाडा की संसद में बिना किसी ठोस सबूत के लगाए गए थे, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में तीव्र तनाव पैदा हो गया।

भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कनाडा पर खालिस्तानी आतंकियों को शरण देने और भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

मार्क कार्नी के नेतृत्व में बदली कनाडा की रणनीति

2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद, नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने विदेश नीति में बड़ा बदलाव किया है। कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में पहली बार खालिस्तानी चरमपंथ को “राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा” माना है। यह रिपोर्ट बताती है कि ये संगठन न केवल हिंसक विचारधारा फैलाते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी गतिविधियों में भी शामिल हैं।

G7 शिखर सम्मेलन के बाद नई शुरुआत

अलबोरदा में G7 सम्मेलन के बाद पीएम मोदी और पीएम मार्क कार्नी की द्विपक्षीय बैठक ने संबंध सुधार की नई उम्मीदें जगाई हैं। दोनों नेताओं ने व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लोकतांत्रिक मूल्यों पर बातचीत की। संयुक्त बयान में “आपसी सम्मान, संप्रभुता और कानून के शासन” जैसे शब्दों का उल्लेख इस नई नीति सोच का स्पष्ट संकेत है।

कनाडा की रिपोर्ट: अब खालिस्तानी समूह ‘वैचारिक’ नहीं, बल्कि ‘आतंकी’

CSIS की रिपोर्ट बताती है कि खालिस्तानी संगठन केवल स्वतंत्रता की मांग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे लोकतंत्र के ढांचे का दुरुपयोग कर भारत की संप्रभुता को चोट पहुंचा रहे हैं। यह बयान भारत की उस पुरानी मांग को औपचारिक मान्यता देता है, जिसमें कहा गया था कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी तत्व सक्रिय हैं।

डिप्लोमैटिक यू-टर्न या सिर्फ बयानबाज़ी?

सवाल अब यह है कि क्या कनाडा इस रिपोर्ट के आधार पर ठोस कार्रवाई करेगा या यह केवल एक रणनीतिक बयान तक सीमित रहेगा। भारत इसे एक सकारात्मक कदम जरूर मान रहा है, लेकिन भरोसा तभी होगा जब कनाडा भारत विरोधी ताकतों पर निर्णायक प्रहार करेगा।

 

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