मोहन यादव की मास्टरस्ट्रोक: हेमंत खंडेलवाल बने MP BJP अध्यक्ष, गुटबाजों को बड़ा झटका

समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 2 जुलाई: मध्य प्रदेश की राजनीति ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यहां न जातिवाद चलेगा, न क्षेत्रवाद। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की रणनीति ने भाजपा के भीतर के तमाम समीकरणों को साधते हुए यह साफ कर दिया कि नेता वही बनेगा जो पार्टी के प्रति निष्ठावान और योग्य होगा। हेमंत खंडेलवाल को भाजपा मध्य प्रदेश इकाई का निर्विरोध अध्यक्ष चुनकर मोहन यादव ने पार्टी के भीतर गुटबाजी करने वालों को करारा संदेश दिया है।

ग्वालियर से लेकर बैतूल तक सियासी संतुलन
इस बार भी तमाम राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे थे कि ग्वालियर के तनाव को देखते हुए कोई अनुसूचित जाति का चेहरा अध्यक्ष बनेगा या आदिवासी बेल्ट को साधने के लिए आदिवासी नेता को मौका मिलेगा। कुछ लोग महिला अध्यक्ष की संभावना भी जता रहे थे। लेकिन मोहन यादव ने सबके कयासों पर पानी फेरते हुए हेमंत खंडेलवाल के नाम पर मोहर लगवा दी। बैतूल से विधायक और पार्टी के कोषाध्यक्ष रह चुके हेमंत खंडेलवाल की छवि निर्विवाद रही है।

RSS से गहरा जुड़ाव, पार्टी में मजबूत पकड़
मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल दोनों ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। मोहन यादव 90 के दशक में RSS के उज्जैन नगर में सक्रिय रहे तो वहीं हेमंत खंडेलवाल के पिता स्वर्गीय विजय खंडेलवाल भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे। यही कारण रहा कि दोनों नेताओं के बीच संगठन और सरकार के बीच समन्वय का मजबूत पुल बन सका।

छात्र राजनीति से लेकर बड़े फैसले तक
डॉ मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल ने छात्र राजनीति से अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी। मोहन यादव ABVP से जुड़े रहे और हेमंत खंडेलवाल ने विद्यार्थी जीवन से ही भाजपा का झंडा उठाया। दोनों की शिक्षा भी मजबूत रही—जहां मोहन यादव ने B.Sc., LLB, MA, MBA और PhD की डिग्रियां ली हैं, वहीं हेमंत खंडेलवाल B.Com और LLB कर चुके हैं।

संगठन और सरकार में तालमेल का मंत्र
मोहन यादव ने संगठन को सरकार से जोड़ने के लिए विश्वसनीय चेहरे को ही आगे किया। बतौर कोषाध्यक्ष, हेमंत खंडेलवाल की कार्यशैली ने उन्हें सीएम का भरोसेमंद बनाया। यही वजह रही कि निर्विरोध निर्वाचन सुनिश्चित करने से लेकर मीडिया में कोई विवाद न उठने देने तक मोहन यादव की रणनीति कामयाब रही।

 

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