भोपाल नवाब की संपत्ति पर बड़ा फैसला, सैफ अली खान को कानूनी झटका

समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 5 जुलाई: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने भोपाल रियासत से जुड़ी करीब ₹15,000 करोड़ की पैतृक संपत्ति को ‘दुश्मन संपत्ति’ घोषित कर दिया है। इस फैसले ने ट्रायल कोर्ट के उस पुराने आदेश को पलट दिया है, जिसमें सैफ और उनके परिवार को नवाब की संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी माना गया था।

नवाब हमीदुल्ला खान की विरासत पर विवाद
भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की मौत 1960 में हुई थी। उनके पीछे तीन बेटियां थीं—आबिदा सुल्तान, जो पाकिस्तान चली गई थीं, और साजिदा सुल्तान व तीसरी बहन, जो भारत में ही रहीं। साजिदा सुल्तान सैफ अली खान की नानी थीं। ट्रायल कोर्ट ने पहले साजिदा को उत्तराधिकारी मानते हुए संपत्ति सैफ के परिवार के नाम करने का आदेश दिया था। लेकिन नवाब के अन्य वारिसों ने 1999 में शरीयत अधिनियम के तहत पुनर्विभाजन की मांग करते हुए केस दायर कर दिया।

दुश्मन संपत्ति अधिनियम के दायरे में आई संपत्ति
हाई कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू करने के आदेश दिए हैं और ट्रायल कोर्ट को एक साल के भीतर फैसला सुनाने को कहा है। इसके साथ ही सैफ अली खान की वह याचिका भी खारिज कर दी गई है जिसमें उन्होंने संपत्ति को ‘दुश्मन संपत्ति’ घोषित करने के सरकारी आदेश को चुनौती दी थी।

भारत के Enemy Property Act के अनुसार, जो लोग बंटवारे के समय पाकिस्तान या चीन चले गए थे, उनकी संपत्ति पर सरकार का अधिकार माना जाता है। चूंकि आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गई थीं, इसलिए सरकार ने पूरी संपत्ति को ‘दुश्मन संपत्ति’ मान लिया।

इतिहास से जुड़ी करोड़ों की जायदाद
इस कानूनी पेंच में सैफ अली खान और उनके परिवार की कई ऐतिहासिक संपत्तियां शामिल हैं—Flag Staff House (सैफ का बचपन का घर), नूर-उस-सबह पैलेस, हबीबी बंगला, अहमदाबाद पैलेस, कोहेफिजा एस्टेट और दर-उस-सलाम जैसी आलीशान हवेलियां अब सरकारी नियंत्रण में मानी जाएंगी।

कोर्ट का अंतिम मौका भी बेअसर
गौरतलब है कि सैफ अली खान ने Enemy Property Act के खिलाफ 2015 में स्टे ऑर्डर हासिल किया था। लेकिन 13 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट ने यह स्थगन हटा दिया और परिवार को 30 दिन में दावा पेश करने का मौका दिया, पर कोई दावा नहीं किया गया। अब अदालत के ताजा आदेश के बाद मामला फिर से खुलेगा और भोपाल नवाब की विरासत का फैसला नए सिरे से होगा।

 

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.