ओवैसी के सियासी खत से बिहार महागठबंधन में खलबली

समग्र समाचार सेवा
पटना, 8 जुलाई: बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासत नए मोड़ ले रही है। अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक सियासी खत से महागठबंधन को मुश्किल में डाल दिया है।

महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर

ओवैसी की पार्टी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। एआईएमआईएम की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने दावा किया कि अगर उनकी पार्टी को गठबंधन में लिया गया तो सेकुलर वोटों का बंटवारा रुक सकता है। इसके जरिए उन्होंने इशारा दिया कि मुस्लिम बहुल सीमांचल में उनकी पकड़ का फायदा महागठबंधन को मिल सकता है।

बीजेपी की बी टीम बताकर घेराव

हालांकि कांग्रेस को ओवैसी की मंशा पर भरोसा नहीं है। विपक्ष ओवैसी को पहले से ही बीजेपी की बी टीम बताता रहा है। कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि ओवैसी अगर महागठबंधन में आते हैं तो बीजेपी को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का मौका मिल सकता है। कांग्रेस यही नहीं चाहती कि ओवैसी के आने से वोटों में उलझन पैदा हो और बीजेपी को इसका फायदा मिल जाए।

राहुल-तेजस्वी मुलाकात पर नजर

ओवैसी के इस खत पर अब तक आरजेडी या कांग्रेस ने खुलकर कुछ नहीं कहा है। माना जा रहा है कि बुधवार को राहुल गांधी की तेजस्वी यादव से होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर कोई दिशा तय हो सकती है। कांग्रेस फिलहाल सीधा जवाब देने से बच रही है, ताकि ओवैसी खुद ही अलग होकर चुनाव लड़ें और कांग्रेस पर कोई ठीकरा न फूटे।

सीमांचल में AIMIM की पकड़

पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। इन्हीं सीटों पर महागठबंधन को नुकसान हुआ और बहुमत कुछ सीटों से छूट गया। बाद में AIMIM के चार विधायक टूटकर आरजेडी में चले गए, लेकिन अख्तरुल ईमान पार्टी में टिके रहे। अब एक बार फिर ओवैसी की कोशिश है कि अपनी पकड़ को सियासी ताकत में बदला जाए।

ओवैसी के लिए यह दांव कितना कारगर होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन उनके खत ने बिहार के सियासी मैदान में एक नई बहस जरूर छेड़ दी है।

 

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