समग्र समाचार सेवा
वडोदरा, 10 जुलाई: गुजरात के वडोदरा में महिसागर नदी पर बने पुराने पुल के टूटने से हुए दर्दनाक हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 15 पहुंच गई है। गुरुवार सुबह NDRF टीम ने तलाशी अभियान के दौरान दो और शव नदी से निकाले, जबकि अब भी चार लोग लापता हैं। SDRF और स्थानीय गोताखोरों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है।
#WATCH वडोदरा (गुजरात): वडोदरा कलेक्टर अनिल धमेलिया ने पादरा में गंभीरा ब्रिज ढहने की घटना पर कहा, "घटना के बाद कल सुबह से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। कल रात बाढ़ की वजह से पानी का स्तर बढ़ गया था इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन रात 10 बजे के बाद रोकना पड़ा। आज सुबह से रेस्क्यू ऑपरेशन फिर… pic.twitter.com/5xGFP6Ptyo
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 10, 2025
एक परिवार की त्रासदी
इस हादसे ने कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं। सबसे दुखद तस्वीर उस परिवार की है, जिसने एक साथ तीन लोगों को खो दिया। रमेशभाई, उनके बेटे नैतिक और बेटी वेदिका भावनगर के बगदाणा जा रहे थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। गुरुवार को तीनों का अंतिम संस्कार किया गया, जिसके बाद पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
45 साल पुराना पुल बना मौत का कारण
जिस पुल पर यह हादसा हुआ, वह लगभग 45 साल पुराना था और दक्षिण गुजरात को सौराष्ट्र से जोड़ने वाला अहम रास्ता था। इसके टूटने से अब भरूच, सूरत और नवसारी जैसे इलाकों के लोगों को सौराष्ट्र जाने के लिए अहमदाबाद होकर लंबा रास्ता लेना पड़ेगा। हादसे के समय दो ट्रक, दो कार और एक रिक्शा पुल के साथ नदी में समा गए, जबकि एक टैंकर पुल के टूटे हिस्से पर ही अटक गया था।
PM मोदी ने जताया शोक, मुआवजे का ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से ₹2 लाख और घायलों को ₹50 हजार की सहायता राशि देने की घोषणा की है। PMO से भी प्रशासन को जल्द से जल्द राहत और बचाव कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रशासन पर उठे सवाल
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि हादसे के तुरंत बाद बचाव कार्य उन्होंने खुद शुरू किया क्योंकि प्रशासन की तरफ से कोई मदद देर तक नहीं पहुंची। एक युवक ने बताया कि सुबह से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बाहर निकालते रहे।
स्थानीयों के अनुसार पुल की जर्जर हालत की जानकारी कई बार प्रशासन को दी गई थी, लेकिन समय रहते मरम्मत नहीं की गई। लोगों का कहना है कि यह हादसा किसी प्राकृतिक आपदा का नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है, जिसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.