बिहार में आधार सैचुरेशन 126%: बॉर्डर जिलों में घुसपैठ पर सवाल

समग्र समाचार सेवा
पटना, 10 जुलाई: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आधार कार्ड पंजीकरण से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़ों ने नई बहस छेड़ दी है। राज्य में जहां औसत आधार सैचुरेशन दर 94% है, वहीं सीमावर्ती मुस्लिम बहुल जिलों में यह आंकड़ा 120 फीसदी से भी ऊपर चला गया है।

किशनगंज में रिकॉर्ड स्तर

सबसे बड़ा सवाल किशनगंज को लेकर उठ रहा है, जहां मुस्लिम आबादी करीब 68% है लेकिन आधार सैचुरेशन 126% तक पहुंच गया है। यानी हर 100 लोगों पर 126 आधार कार्ड जारी हुए हैं। कटिहार, अररिया और पूर्णिया जैसे जिलों में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं, जहां सैचुरेशन 120% से ज्यादा दर्ज हुआ है।

अवैध घुसपैठ का खतरा

इन आंकड़ों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी नई चिंता पैदा कर दी है। सीमावर्ती इलाकों में लंबे वक्त से बांग्लादेशी घुसपैठ की आशंका जताई जाती रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने फर्जी आधार कार्ड किसके नाम पर बने हैं? क्या विदेशी नागरिकों को बिना दस्तावेजों के भारतीय पहचान पत्र मिल रहे हैं?

पश्चिम बंगाल पर भी उठे सवाल

बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल की सीमावर्ती स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं। ममता बनर्जी सरकार NRC और CAA के खिलाफ लगातार मुखर रही है। विपक्ष का आरोप है कि आधार को नागरिकता का प्रमाण बनाकर अवैध घुसपैठियों को कानूनी छूट देने की कोशिश हो सकती है।

क्या कहता है आधार कानून

आधार सैचुरेशन दर सामान्य तौर पर 100% के करीब मानी जाती है। यानी किसी भी इलाके में कुल आबादी के लगभग सभी लोगों के पास आधार कार्ड होना चाहिए। लेकिन जब यह आंकड़ा 120% से ऊपर जाता है तो यह साफ संकेत देता है कि कहीं न कहीं प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है।

चुनावी मौसम में ऐसे आंकड़े सामने आना न सिर्फ सियासी गर्मी बढ़ा रहा है, बल्कि आने वाले वक्त में NRC, CAA और अवैध घुसपैठ जैसे मुद्दों को फिर हवा दे सकता है।

 

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