समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 जुलाई: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक चलेगा और इससे पहले आज राजधानी दिल्ली में एक अहम सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का उद्देश्य था संसद की कार्यवाही को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए राजनीतिक दलों के बीच समन्वय स्थापित करना। लेकिन बैठक में शामिल विपक्षी दलों के तेवर और रणनीति से यह साफ हो गया कि इस बार संसद का यह सत्र भी तकरार और तीखे आरोप-प्रत्यारोप से भरा रहने वाला है।
बैठक में हुई व्यापक भागीदारी
सर्वदलीय बैठक में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, किरण रिजिजू, अनुप्रिया पटेल, और बीजेपी सांसद रवि किशन जैसे नेता शामिल रहे। विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता जयराम रमेश और सुरेश, शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, एनसीपी-एससीपी की सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, जेडीयू, एआईएडीएमके, सीपीआई (एम) और डीएमके के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।
#WATCH | Delhi: Union Ministers and BJP MPs JP Nadda, Kiren Rijiju, Arjun Ram Meghwal, L Murgan and others arrive for the all-party meeting ahead of the Monsoon session of Parliament that begins tomorrow, 21st July. pic.twitter.com/yh9SQKcBqL
— ANI (@ANI) July 20, 2025
इस भागीदारी से स्पष्ट है कि संसद का मानसून सत्र केवल विधायी एजेंडा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राजनीतिक मोर्चाबंदी का मंच भी बनेगा।
विपक्ष की रणनीति और मुख्य मुद्दे
बैठक में विपक्षी दलों ने संकेत दिया कि वे सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में उठाने वाले हैं। इनमें सबसे प्रमुख है 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, और 7 मई को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर, जिन पर सरकार से जवाबदेही मांगी जाएगी।
इसके अलावा बिहार में मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया, जिसे SIR यानी सिस्टमेटिक इलेक्शन रिफॉर्म के नाम से जाना जा रहा है, और वक्फ संपत्ति से जुड़ा नया विधेयक भी बहस का विषय बनेगा। विपक्ष का दावा है कि ये मुद्दे न केवल लोकतंत्र की पारदर्शिता से जुड़े हैं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संतुलन पर भी असर डालते हैं।
स्वतंत्रता दिवस से पहले दो दिन नहीं होगी बैठक
संसद के इस मानसून सत्र के दौरान 13 और 14 अगस्त को कोई बैठक नहीं होगी। इन दो दिनों को स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के मद्देनजर अवकाश घोषित किया गया है। इस बीच, सरकार और विपक्ष दोनों अपने-अपने एजेंडे को धार देने में जुटे हैं।
इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश किए जाने की संभावना है, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब सदन का वातावरण सहयोगात्मक रहे। विपक्षी दलों के तेवर देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार भी संसद का माहौल गर्म रहने वाला है।
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