समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 जुलाई: स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। इस इस्तीफे ने न केवल विपक्ष को चौंकाया बल्कि सत्ता के गलियारों में भी कई अटकलों को हवा दे दी है। कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह केवल स्वास्थ्य से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक असंतोष की झलक भी छिपी हो सकती है।
धनखड़ के इस्तीफे से कुछ ही घंटे पहले उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की थी, जिनमें से किसी से भी उन्होंने किसी स्वास्थ्य समस्या या इस्तीफे की बात नहीं की थी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि उन्होंने इस्तीफे से ठीक दो घंटे पहले उपराष्ट्रपति से फोन पर बात की थी। बातचीत के दौरान धनखड़ सामान्य दिखे और उनके परिवार के साथ समय बिता रहे थे।
कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ी चिंता के रूप में नहीं देखा। पार्टी ने दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफा कई राजनीतिक संकेतों को उजागर करता है। जयराम रमेश ने कहा कि सोमवार को धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक की अध्यक्षता की थी, जो सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा थी।
रमेश ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरेन रीजीजू बैठक में क्यों नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति की अपेक्षा थी कि सभी वरिष्ठ मंत्री उपस्थित रहें। उनकी गैरमौजूदगी ने धनखड़ को आहत किया और यह संभावना जताई जा रही है कि यह इस्तीफे की एक बड़ी वजह बन सकती है
गंभीर घटनाओं का संयोग
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि अपराह्न एक बजे से शाम साढ़े चार बजे के बीच हुई कुछ घटनाएं इस पूरे इस्तीफे से जुड़ी हो सकती हैं। रमेश के अनुसार, धनखड़ अपने कार्यकाल के दौरान नियमों और मर्यादाओं को लेकर बेहद सजग थे, और उन्हें यह आभास होने लगा था कि उनके अधिकारों की अनदेखी हो रही है।
यह स्थिति उनके लिए असहज होती गई और शायद यही असंतोष उनके इस्तीफे का कारण बना। उन्होंने अपनी अगली बैठक मंगलवार दोपहर एक बजे के लिए पुनर्निर्धारित की थी, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया और संकेत
धनखड़ का इस्तीफा जहां संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, वहीं कांग्रेस ने इसे एक राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा है। रमेश ने लिखा कि यह इस्तीफा केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सत्ता के गलियारों में चल रही हलचल और असहमति का प्रतीक भी हो सकता है।
कांग्रेस का यह भी कहना है कि उपराष्ट्रपति को उचित सम्मान और सहयोग नहीं मिला, जिससे वे आहत हुए और अंततः पद छोड़ने का निर्णय लिया। यह इस्तीफा उन लोगों की नीयत पर भी सवाल उठाता है जिन्होंने उन्हें इस उच्च पद तक पहुंचाया था।
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