सरकार नहीं दिखा रही उपराष्ट्रपति चुनाव की जल्दी, संसद सत्र में नहीं होंगे मतदान संकेत

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जुलाई: जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद रिक्त हो गया है, लेकिन सरकार फिलहाल इस पद के लिए चुनाव कराने को लेकर किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं दिख रही है। संसद का मौजूदा मानसून सत्र जारी है, फिर भी सरकार ने संकेत दिए हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव इसी सत्र में करवाना प्राथमिकता में नहीं है। संविधान में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर छह महीने की सीमा तय की गई है, लेकिन उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसी कोई समयसीमा नहीं है। अनुच्छेद 68(2) के तहत इस पद की रिक्तता के बाद ‘यथाशीघ्र’ चुनाव कराने का प्रावधान है, पर स्पष्ट समयसीमा नहीं दी गई है।

धनखड़ का इस्तीफा मंजूर, प्रक्रिया जल्द शुरू होने के आसार
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। इसके बाद गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर दी। इस अधिसूचना के जारी होने के साथ ही निर्वाचन आयोग को नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का मार्ग मिल गया है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार इसे संसद सत्र के दौरान कराए जाने को लेकर विशेष उत्सुकता नहीं दिखा रही।

राज्यसभा सभापति का पद भी रिक्त
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, और उनके इस्तीफे के साथ यह पद भी रिक्त हो गया है। मंगलवार सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही उपसभापति हरिवंश ने शुरू की। इस दौरान न तो धनखड़ की ओर से कोई विदाई भाषण दिया गया और न ही उनकी औपचारिक विदाई की रस्म पूरी हुई, जो आम तौर पर उच्च संवैधानिक पदों पर होते समय देखी जाती है। इस चुपचाप विदाई से राजनीतिक गलियारों में यह संदेश गया कि सरकार उनके इस्तीफे के निर्णय से सहमत थी।

विपक्ष ने दी धनखड़ को सराहना
भले ही पिछले वर्ष विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ उनके कथित पक्षपातपूर्ण व्यवहार के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दी थी, फिर भी अब जब उन्होंने पद छोड़ा है, तो विपक्ष ने उनके कार्यकाल की सराहना की है। राज्यसभा में भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने गृह मंत्रालय की अधिसूचना को सदन में पढ़ा और स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ने धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

 

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