सीपीआई सांसद पी. संदोष कुमार ने बिहार मतदाता सूची पर राज्यसभा में नियम 267 के तहत स्थगन नोटिस दिया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जुलाई: राज्यसभा के मानसून सत्र के दौरान आज सीपीआई सांसद पी. संदोष कुमार ने बिहार में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को लेकर कार्य स्थगन का नोटिस देकर सदन का ध्यान इस महत्वपूर्ण विषय की ओर खींचा। सांसद ने नियम 267 के तहत राज्यसभा में कार्यवाही स्थगित करने की मांग की, ताकि इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराई जा सके। उनका तर्क था कि बिहार में मतदाता सूची में सामने आई गड़बड़ियों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

नियम 267 और इसका महत्व
नियम 267 संसद के उच्च सदन में एक महत्वपूर्ण संसदीय उपकरण माना जाता है, जिसके जरिए किसी तत्काल और गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए तय एजेंडा स्थगित किया जा सकता है। इस नियम के तहत दी गई नोटिस का अर्थ होता है कि कोई विषय इतना अधिक संवेदनशील और जरूरी है कि उसके लिए निर्धारित कार्यसूची को दरकिनार करना पड़े। पी. संदोष कुमार का यह नोटिस बताता है कि वे मतदाता सूची में आई कथित अनियमितताओं को लोकतंत्र की नींव के लिए खतरा मानते हैं।

बिहार की एसआईआर बनी विवाद की जड़
बिहार में हाल ही में की गई विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची का पुनर्मूल्यांकन हुआ था। लेकिन विपक्षी दलों और कुछ नागरिक संगठनों ने आरोप लगाए हैं कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम जोड़े गए हैं और वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से गायब हैं। ऐसे आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और पी. संदोष कुमार ने इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर संसद में आवाज बुलंद की है।

लोकतंत्र की बुनियाद पर सवाल
पी. संदोष कुमार का कहना है कि एक पारदर्शी और अद्यतन मतदाता सूची लोकतंत्र की बुनियादी शर्त है। यदि इस पर सवाल उठते हैं तो चुनावों की निष्पक्षता और वैधता भी संदेह के घेरे में आ जाती है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस पर तत्काल स्पष्टीकरण और कार्रवाई की मांग की है। यह मुद्दा आगे भी संसद में गरमागरम बहस का विषय बन सकता है, खासकर जब बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

 

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