समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जुलाई: प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार से ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह यात्रा दोनों देशों के साथ व्यापार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की कोशिश है।
ब्रिटेन में एफटीए और शिक्षा साझेदारी
ब्रिटेन में उनके विज़िट का मुख्य आकर्षण ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और महाराजा चार्ल्स तृतीय से भेंट के साथ हो सकता है। लंदन के पास चेकर्स में द्विपक्षीय चर्चा से भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर अंतिम मसौदे पर सहमति बनने की उम्मीद है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी संकेत दिया कि यह समझौता अंतिम चरण में है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
शिक्षा क्षेत्र में सहयोग की नई लकीर साफ़ दिख रही है। साउथम्पटन यूनिवर्सिटी ने गुरुग्राम में परिसर लॉन्च किया है—यह भारत की नई शिक्षा नीति के तहत पहला विदेशी विश्वविद्यालय है। इसके अलावा कई ब्रिटिश संस्थान भारत में विस्तार की योजना में हैं।
टेक्नोलॉजी सुरक्षा पहल के अंतर्गत सहयोग
भारत और ब्रिटेन इस यात्रा के दौरान टेक्नोलॉजी सुरक्षा पहल (TSI) के तहत दूरसंचार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर और क्वांटम कंप्यूटिंग में सहयोग बढ़ाने पर विचार करेंगे। यह पहल दोनों देशों को नई तकनीकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सामरिक साझेदारी का मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
मालदीव यात्रा: पड़ोस और महासागर रणनीति
26 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी मालदीव की यात्रा करेंगे। वे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात करेंगे और भारत द्वारा समर्थित विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। साथ ही मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। यह पहली राजकीय यात्रा होगी जब मुइज्जू ने मार्च 2023 में पदभार संभाला।
मालदीव भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ और ‘महासागर विजन’ का एक अहम स्तंभ है। दोनों देशों के बीच पिछले वर्ष ‘व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी’ (BEMS) पर भी समझौता हुआ था, जो इस यात्रा का आधार बना है।
विश्लेषण: रणनीतिक रीढ़
यह दौरा भारत की रणनीतिक सोच, जिसमें व्यापार, शिक्षा, तकनीक और समुद्री सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ते हैं, का प्रतीक है। ब्रिटेन से लेकर मालदीव तक यह यात्रा दिखाती है कि न सिर्फ वैश्विक और क्षेत्रीय हितों को महत्व दिया जा रहा है, बल्कि भारत अपनी ‘परस्पर लाभ’ की विदेश नीति को गति दे रहा है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.